प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कालेधन पर जो हमला बोला है और आर्थिक सर्जिकल स्ट्राइक की है, उसके बारे में जितनी सक्रियता प्रधानमंत्री की नजर आई, उतनी सक्रियता तो वित्त मंत्री की भी देखने को नहीं मिली। राष्ट्र के नाम संदेश देते समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही टीवी चैनलों और आकाशवाणी पर छाए हुए थे। इसके बाद कई घंटे तक प्रधानमंत्री के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर ही इसके बारे में खूब चर्चा हो रही थी और वित्तमंत्री अरुण जेटली इस मामले में लगभग मौन थे। इस सबसे एक बात फिर साबित हो गई कि नरेन्द्र मोदी ही सोशल मीडिया के टाइगर हैं। इस सर्जिकल स्ट्राइक के बाद एक ही दिन में ट्विटर पर नरेन्द्र मोदी के फॉलोअर्स की संख्या करीब दस हजार बढ़ गई। कई केंद्रीय नेताओं के तो दस हजार फॉलोअर्स भी नहीं हैं।
कालेधन के बारे में प्रधानमंत्री की घोषणा के तत्काल बाद उनके संदेशों को नेताओं, अधिकारियों, आर्थिक विशेषज्ञों आदि ने तो आगे बढ़ाया ही अन्य वर्गों के लोग भी इस काम में जुटे। श्रीश्री रविशंकर और बाबा रामदेव भी उनमें से थे। क्रिकेटर अनिल कुंबले ने प्रधानमंत्री को ट्वीट किया कि माननीय प्रधानमंत्री की तरफ से थोक में गुगली गेंदें फेंकी गई हैं। मुझे आप पर फख्र है सर। इसके जवाब में प्रधानमंत्री ने भी उस संदेश को रि-ट्वीट किया और लिखा कि यह संदेश भारत के उस क्रिकेटर की तरफ से आया है जिसकी विश्वसनीयता खेल के मैदान में असंदिग्ध रही है। अनेक बल्लेबाजों के लिए जिनकी गेंदबाजी अचरज का कारण रहती थी। मधुर भंडारकर ने भी प्रधानमंत्री मोदी को बधाई दी, तो प्रधानमंत्री की तरफ से उसे भी रि-ट्वीट किया गया और लिखा गया कि इससे आर्थिक विकास की गति को बल मिलेगा। अभिनेता नागार्जुन ने इस फैसले के बारे में पेरिस से ट्विटर पर प्रधानमंत्री को संदेश भेजा और बधाई दी। नागार्जुन के अनुसार इस फैसले से कालेधन पर नियंत्रण पाना आसान होगा। प्रधानमंत्री ने नागार्जुन के संदेश को भी आरटी किया।
कमल हासन, रितेश देशमुख, करण जौहर, कैलाश खेर, हरभजनसिंह, मेरीकॉम, ऐश्वर्या आर. धनुष (रजनीकांत की बेटी), सुभाष घई, सिद्धार्थ मल्होत्रा जैसी अनेक शख्सियतों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उनके फैसले पर बधाई दी और इसे क्रांतिकारी निर्णय बताया। इनमें से अधिकांश प्रमुख लोगों के संदेशों को प्रधानमंत्री ने विनम्रतापूर्वक रि-ट्वीट किया और अपने संदेश भी लिखे। इसके पहले प्रधानमंत्री ने जो ट्वीट किए थे, उनमें से अधिकांश इस आर्थिक फैसले को लेकर थे और इस पर भी कि उस पर अमल किस तरह किया जाए।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की तरफ से भी इस फैसले को लेकर दिलचस्पी दिखाई गई। राष्ट्रपति भवन इस मामले में गंभीर था कि कालेधन को बाहर लाने की इस योजना से आम लोगों को कोई परेशानी तो नहीं होगी। योजना पर अमल के बारे में राष्ट्रपति भवन पल-पल की खबर ले रहा था और प्रधानमंत्री की तरफ से भी उन्हें जवाब दिए जा रहे थे। राष्ट्र के नाम संदेश देने के पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राष्ट्रपति से भी मिले थे। जाहिर है उनमें इस मुद्दे को लेकर चर्चा तो हुई ही होगी। राष्ट्रपति खुद जाने-माने अर्थशास्त्री है और वित्तमंत्री भी रह चुके हैं और इस मामले में उनकी दिलचस्पी स्वाभाविक ही थी।
प्रधानमंत्री ने इस घोषणा के साथ सोशल मीडिया पर जो संदेश दिए, उनमें कालेधन से निपटने के साथ ही नशे के सौदागरों और आतंकियों द्वारा उपयोग में लाई जा रही करेंसी के बारे में चिंता व्यक्त की गई थी। प्रधानमंत्री के संदेशों से जाहिर था कि इस फैसले का एक लक्ष्य आतंकियों और नशे के सौदागरों के आर्थिक स्त्रोतों पर हमला करना भी है। इसके पहले 8 नवंबर के अपने संदेश में प्रधानमंत्री ने भाजपा के वरिष्ठ नेता और भूतपूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को उनके जन्मदिन पर बधाई दी थी और उसके भी एक दिन पहले 7 नवंबर को उन्होंने गांधीजी के पौत्र कनुभाई गांधी को श्रद्धांजलि दी थी। काले धन संबंधी घोषणाओं के साथ ही प्रधानमंत्री की सक्रियता सोशल मीडिया पर अचानक बहुत बढ़ गई। इतनी ज्यादा की वित्त मंत्री भी उनके समकक्ष नहीं पहुंच पाए।
प्रधानमंत्री के राष्ट्र के नाम संदेश देने के साथ ही देश के सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर एक ही चर्चा थी और वह थी पांच सौ तथा हजार रुपए के नोट बंद करने तथा पांच सौ तथा दो हजार रुपए के नए नोटों को जारी करने के बारे में। जो लोग कभी कभार ही सोशल मीडिया पर आते है, वे भी अपनी उत्सुकता नहीं रोक आए। सोशल मीडिया का कोई भी मंच ऐसा नहीं बचा, जहां इस पर संदेशों का पहाड़ नजर नहीं आया हो। दिलचस्प बात यह है कि फोटोशॉप किए हुए फोटो और ताजा-तरीन वीडियो क्लिप्स भी लोगों ने शेयर की। जितने लतीफे इस घटनाक्रम के बाद ईजाद किए गए, शायद ही किसी और घटनाक्रम पर ईजाद किए गए होंगे। इस पहल के आगे अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव और नतीजों की खबरें भी पीछे रह गई।