भारत का अद्भुत पराक्रम

अवधेश कुमार

शुक्रवार, 9 मई 2025 (09:40 IST)
सीमा पार आतंकवाद के विरुद्ध भारत के अद्भुत पराक्रम को पूरे विश्व ने देखा। पाकिस्तान को भी उम्मीद नहीं होगी कि भारत इतनी तैयारी के साथ आधी रात के बाद न केवल पाक अधिकृत कश्मीर बल्कि पाक की अन्य सीमाओं में एक साथ अनेक जगहों पर सटीक मिसाइल हमले करेगा। उरी में सैनिकों पर आतंकवादी हमला में भारत ने 11वें दिन पाक अधिकृत कश्मीर में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की। ALSO READ: पहलगाम के आगे
 
पुलवामा सीआरपीएफ शिविर पर हमले के 13वें दिन बालाकोट के आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक यानी हवाई बमबारी की गई। पहलगाम हमले के 15वें दिन भारत ने मिसाइल हमला करके अब तक के सबसे बड़े और साहसी करवाई को अंजाम दिया है। जैसा कर्नल सोफिया और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने बताया कि रात 1:05 से 1:30 पर ऑपरेशन सिंदूर के नाम से भारत ने 9 ठिकानों पर हमला किया, जिनमें पांच पाक अधिकृत कश्मीर और चार पाकिस्तान के अंदर हैं। 
 
इस बार भारत ने इसके साथ 18 आधिकारिक तस्वीर भी जारी कर दी, जिसे किसी के पास प्रश्न उठाने का कोई कारण नहीं रह गया। वैसे भी जब जैश ए मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर बयान जारी कर रो रहा है कि उसके 10 लोग मारे गए और वह क्यों नहीं मर गया तो फिर संदेह का कारण नहीं है।

2016 के सर्जिकल स्ट्राइक को तो छोड़िए 22 फरवरी 2019 के बालाकोट हवाई बमबारी पर भी हमारे देश के नेताओं ने कटाक्ष किया, उसका उपहास उड़ाया। इस बार सबके मुंह बंद है क्योंकि पाकिस्तान ने स्वयं स्वीकार किया है। पाकिस्तान के इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस के डॉयरेक्टर लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने सबसे पहले कहा कि भारत ने 24 मिसाइलें दागी हैं। 
 
वास्तव में जब प्रधानमंत्री ने मधुबनी की सभा से कहा कि इस बार की कार्रवाई दुश्मन की कल्पना से परे होगा तथा उनको मिट्टी में मिलाने का वक्त आ गया है तो साफ था कि पूर्व की दो कार्रवाइयों से ज्यादा बड़ी, विस्तृत और आतंकवाद की दृष्टि से प्रभावी एवं निर्णायक कार्रवाई हो सकती है। जैसा कर्नल सोफिया और विंग कमांडर व्योमिका ने बताया भारत ने अपनी रक्षा आत्मरक्षा के तहत कार्रवाई की है और इस बात का ध्यान रखा गया कि आम नागरिकों और सैनिक ठिकानों को हमारी मिसाइलें स्पर्श न करें। 
 
उन स्थानों को देखिए जहां-जहां मिसाइल हमले हुए तब पता चल जाएगा कि कितनी बड़ी कार्रवाई थी। बताया गया कि जिन नौ ठिकानों पर हमले किए गए, उसके पीछे भारतीय सेना का मकसद क्या था। दोनों महिला जवानों ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए वीभत्स आतंकी हमले के शिकार नागरिकों और उनके परिवारों को न्याय देने के लिए किया गया। जिन नौ ठिकानों की पहचान कर बर्बाद किया गया उनमें में आतंकियों को प्रशिक्षित किया जाता था। ये आतंकियों के लॉन्च पैड थे। 
 
एक, नियंत्रण रेखा से 30 किलोमीटर दूर‌ मुजफ्फराबाद का सवाईनाला कैंप लश्कर का ट्रेनिंग सेंटर था। सोनमर्ग, गुलमर्ग और पहलगाम में आतंकी हमला करने वाले आतंकवादियों ने यहीं प्रशिक्षण लिया था। 
 
दो, सैयदना बिलाल कैंप (पीओजेके) जैश-ए-मोहम्मद का ठिकाना है जहां हथियारों और विस्फोटकों को रखा जाता था, जंगल में जिंदा रहने का प्रशिक्षण मिलता था। 
 
तीन, कोटली गुलपुर भी संगठन- लश्कर-ए-तैय्यबा का अड्डा था। यहां के आतंकी जम्मू-कश्मीर के राजौरी-पुंछ में सक्रिय थे। 
 
चौथा निशाना नियंत्रण रेखा से 9 किलोमीटर दूर भींबर का बरनाला कैंप था जहां हथियारों की हैंडलिंग, बारुदी सुरंग आईईडी और जंगल  में बचे रहने का प्रशिक्षण मिल जाता था।पांचवां मिसाइल हमला नियंत्रण रेखा से 13 किमी दूरअब्बास कैंप कोटली पर किया गया, जहां लश्कर के आतंकवादी आत्मघाती तैयार किए जाते थे और एक बार में यहां 15 को प्रशिक्षण देने की क्षमता थी। 
 
पाक अधिकृत कश्मीर के इन ठिकानों को नष्ट करने के बाद मिसाइल पाकिस्तानी सीमा के भीतर चल रहे आतंकी ठिकानों पर गरजे। 
 
एक, सबसे पहले अंतरराष्ट्रीय सीमा से 6 किमी दूर और जम्मू-कश्मीर के सांबा-कठुआ के सामने सरजल कैंप सियालकोट पर हमला किया। 
 
दूसरे नंबर पर अंतरराष्ट्रीय सीमा से 12-18 किमी दूर सियालकोट का महमूना जोया कैंप था जो हिजबुल का बड़ा अड्डा था। यहां से कठुआ में आतंकवादी गतिविधियां चलतीं थीं। पठानकोट वायु सेवा अड्डे हमला का का पूरा षड्यंत्र उसे अंजाम देने की योजना यही बनी थी।
 
तीसरे नंबर पर अंतरराष्ट्रीय सीमा से 18-25 किमी दूर हाफिज सईद के मुरीदके में मरकज-तैयबा था, जहां 2008 के मुंबई आतंकी हमले के आतंकवादी प्रशिक्षित हुए। कसाब और डेविड हेर्डली को यही प्रशिक्षित किया गया था। और सबसे अंत में अंतरराष्ट्रीय सीमा से करीब 100 किलोमीटर दूर बहावलपुर में मरकज सुभान अल्लाह पर हमला किया। यह जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय है जो आतंकवादियों का व्यापक सुरक्षित केंद्र है, जहां भर्ती से लेकर वैचारिक हथियारों के प्रशिक्षण और उन्हें सीमा पार करने सहित सारी व्यवस्थाएं थी। 
 
मसूद अजहर के परिवार के 10 लोग भी मिसाइल के प्यारे हो गए। भारत को बर्बाद करने की कसमें खाने वाले मसूद आज फूट-फूट कर रोए तो कल्पना कर सकते हैं कि हमला उसके सारे सपनों को एकबारगी ध्वस्त करने वाला साबित हुआ है। इसमें मसूद अजहर की बड़ी बहन और उसके पति, भांजे और उसकी पत्नी और अन्य भतीजों और परिवार के पांच बच्चों के साथ उसके करीबी सहयोगी और उसकी मां और दो अन्य करीबी सहयोगियों की भी मौत हुई है। 
 
इसमें आतंकवादी कमांडर इकबाल करी के साथ हमले में 10 अन्य आतंकी भी मारे गए हैं। बिलाल आतंकी शिविर के प्रमुख याकूब मुगल की भी मौत हुई है। बहावलपुर के बाहरी इलाके में कराची-तोरखाम राजमार्ग पर 15 एकड़ में फैले मरकज सुभान अल्लाह मसूद अजहर का किला था, जो 2019 में पुलवामा आतंकवादी हमले सहित अनेक हमले का केंद्र रहा है। मसूद अजहर का घर मरकज सुभान अल्लाह में ही है। 
 
इस तरह देखें तो भारतीय सेना ने केवल पहलगाम हमले के दोषियों को ही सजा नहीं दी, बल्कि पिछले लंबे समय से आतंकवादी हमला करने के मुख्य केंद्रों और भविष्य के षड्यंत्र रचने वालों केन्द्रों को भी तबाह कर दिया। वास्तव में एक-एक हमले पर कार्रवाई से भारत पर आतंकवादी हमले का खतरा टल ही नहीं सकता क्योंकि आप जितने मारेंगे उतने आतंकवादी यै केंद्र पैदा कर लेंगे। 
 
तो पहला रास्ता यही था कि उन सारे चिन्हित केन्द्रों को नष्ट कर दिया जाए। उनके लिए भविष्य में भी गतिविधियां आसान नहीं होगी, क्योंकि अब वहां भारत सहित विश्व भर की दृष्टि होगी। क्या आप सोच सकते हैं कि मुरीदके जैसा अड्डा लश्कर या तैय्यबा या हाफिज जल्दी निर्माण कर सकता है? क्या मसूद अजहर की अब हैसियत मार्केट सुभान के पुनर्निर्माण की है? हिजबुल मुजाहिदीन को हम आप भूल गए थे किंतु सुरक्षा एजेंसियां नहीं भूली और उनको भी नहीं छोड़ा गया। 
 
निश्चय ही प्रधानमंत्री जब तीन-तीन बार तीनों सेना के प्रमुखों और दो बार चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ से मिलते हैं तथा गृह मंत्री अमित शाह लगातार बैठकें कर रहे हैं तो उसकी परिणति इतनी ही बड़ी होनी थी, जिनमें लंबे समय के लिए भारत सीमा पार के बड़े आतंकवादी खतरों से मुक्त हो जाए। पहले सीमा में घुसकर धरती पर सामान्य सर्जिकल स्ट्राइक, फिर हवाई बमबारी और अब मिसाइल दाग कर भारत ने पाकिस्तान और दुनिया को बता दिया है कि सीमा पार आतंकवाद के विरुद्ध वह हर तरह के अस्त्रों का उनकी पूरे प्रभाविता से उपयोग करने का मन बना चुका है। 
 
आतंकवाद के विरुद्ध सबसे पहले इजरायल और अमेरिका ने मिसाइल दागने की शुरुआत की और बाद में कुछ यूरोपीय देशों ने भी ऐसा किया। अब भारत भी उस श्रेणी में शामिल हो गया है। इनमें गुणात्मक अंतर यह है कि अमेरिका या यूरोप को किसी पड़ोसी देश का सामना नहीं करना था, जहां से उसे न्यूक्लियर हथियार वाले से जवाबी कार्रवाई का खतरा हो।

पाकिस्तान के विरुद्ध भारत की कार्रवाई की स्थिति इसके विपरीत है और इस नाते यह बहुत बड़े साहस का काम है। भारत को हजार घाव देने की कसमें खाने वाले पाकिस्तान को कभी इस तरह का सबक मिला नहीं और बालाकोट से उसने सीखने की कोशिश नहीं की। 
 
जरा सोचिए, जनरल आसिफ मुनीर की इस समय क्या दशा होगी? शहनवाज शरीफ सरकार की अथॉरिटी आज की स्थिति में क्या है यह पाकिस्तानियों को भी नहीं समझ आ रहा है। मुनीर इस्लाम और कलमा के नाम पर पाकिस्तान को जम्मू कश्मीर के गले की नस बताते हैं और उसके लिए आतंकवाद का इस्तेमाल करते हैं‌, तो आगे उनको इससे बड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।

जब भारत का राजनीतिक नेतृत्व सीमा पार आतंकवाद को जड़मूल से नष्ट करने का संकल्प ले चुका हो तो सेंड बालवीर उसके अनुरूप उत्साह के साथ तैयारी करते हैं। आगे पाकिस्तान ने नहीं माना तो उसके गर्दन की नस दबने का भी समय आ जाएगा।ALSO READ: पहलगाम हमले के बाद भारत पर 10 लाख से ज्यादा साइबर अटैक
 
(इस लेख में व्यक्त विचार/विश्लेषण लेखक के निजी हैं। 'वेबदुनिया' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।)
 

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