मुंबई में 1993 में हुए बम विस्फोटों से संबंधित मामले में छह साल की सजा सुनाए जाने के बाद फिल्म अभिनेता संजय दत्त को आर्थर रोड जेल से यरवदा जेल भेजे जाने के बाद यह जेल एक बार फिर चर्चा में है। आजादी की लड़ाई के दौरान महात्मा गाँधी सहित कई प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों को यहाँ रखा गया था।
यह संयोग है कि परदे पर महात्मा गाँधी के विचार और उनके सिद्धांतों को फिर से जीवंत बनाने वाले संजय दत्त को उसी जेल में रखा गया है, जिसमें आजादी की लड़ाई के दौरान गाँधी को भी रखा गया था।
यरवदा जेल की स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। यहाँ महात्मा गाँधी के अलावा जवाहरलाल नेहरू, लोकमान्य तिलक, मोतीलाल नेहरू, सरदार पटेल, साने गुरूजी, वासुदेव बलवंत फड़के, चापेकर बंधुओं जैसे सेनानियों को भी रखा गया था।
महात्मा गाँधी को मार्च 1922 में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आलेख लिखने के आरोप में साबरमती आश्रम के पास गिरफ्तार किया गया। उन्हें इसी जेल में रखा गया था। गाँधी ने यंग इंडिया में अपने आलेखों में ब्रिटिश सरकार की आलोचना की थी। उन्हें इस आरोप में छह साल के कैद की सजा हुई थी। बाद में तत्कालीन सरकार ने उन्हें फरवरी 1924 में रिहा कर दिया था।
बापू को एक बार फिर 1932 में बंबई में गिरफ्तार कर यरवदा जेल में रखा गया था। उन्होंने यरवदा जेल के बारे में एक पुस्तक फ्रॉम यरवदा मंदिर भी लिखी थी। यरवदा मंदिर में अनुशासित जीवन के संबंध में गाँधी के विचार हैं। पुस्तक के अनुसार इस जेल में उन्हें काफी कुछ सीखने का मौका मिला।
यरवदा जेल में कैदियों के लिए एक साल का एक कोर्स चलाया जाता है, जिसमें कैदियों को सालभर गाँधी विचार के बारे में जानकारी दी जाती है। इस वैकल्पिक कोर्स में परीक्षा भी होती है।
सहयोग ट्रस्ट की पहल पर शुरू इस कोर्स के परिणाम काफी उत्साही रहे हैं। एक सर्वेक्षण के अनुसार यहाँ के 90 प्रतिशत से अधिक कैदी गाँधी के प्रति सम्मान प्रदर्शित करते हैं। करीब 75 प्रतिशत कैदियों का मानना है कि प्रेम और मित्रता से सामाजिक बदलाव संभव है।