Allahabad High Court reprimanded UP government: इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) ने प्रयागराज के महाकुंभ (Prayagraj Maha Kumbh) में मौनी अमावस्या के शाही स्नान (29 जनवरी) की रात हुई भगदड़ में मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवजा देने में विलंब पर उत्तरप्रदेश सरकार को फटकार लगाई है। उदय प्रताप सिंह नाम के एक व्यक्ति की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति संदीप जैन की अवकाश पीठ ने कहा कि सरकार एक बार मुआजवा घोषित कर देती है तो उसका समय पर और सम्मानजनक तरीके से भुगतान के लिए वह बाध्य है।
राज्य सरकार के मुख्य स्थाई अधिवक्ता ने दलील दी कि चूंकि याचिकाकर्ता ने दावा पेश नहीं किया है, इस पर विचार करने का चरण नहीं आया है। इस पर अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया हम इस रुख को समर्थनीय पाते हैं और इसमें नागरिकों की दुर्दशा के प्रति उदासीनता की बू आ रही है। पीड़ित परिवारों को अत्यंत अनुग्रह और गरिमा के साथ मुआवजे का भुगतान करना सरकार का कर्तव्य है।
अदालत ने शुक्रवार को दिए अपने आदेश में राज्य के अधिकारियों को हलफनामा दाखिल कर मुआवजे के लिए प्राप्त कुल दावों जिन दावों पर निर्णय किए गए उनकी संख्या और लंबित दावों की संख्या का विवरण उपलब्ध कराने को कहा। साथ ही अदालत ने प्रयागराज में विभिन्न चिकित्सा संस्थानों और अधिकारियों को इस याचिका में पक्षकार बनाने और उन्हें हलफनामे दाखिल कर 28 जनवरी से मेला की समाप्ति तक सभी मृत्यु और उनके पोस्टमार्टम आदि की जानकारी देने को कहा और सुनवाई की अगली तिथि 18 जुलाई, 2025 तय की।
उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता की पत्नी महाकुंभ मेले में हुई भगदड़ में घायल हो गई थीं और शुरुआत में माना जा रहा था कि वह 29 जनवरी, 2025 से लापता हैं। बाद में उनका शव, उनके बेटे को मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज से पांच फरवरी को सौंपा गया। उस समय शव का पोस्टमार्टम नहीं कराया गया था। चूंकि, याचिकाकर्ता बिहार के कैमूर जिले के करौंदा क्षेत्र के निवासी हैं, वह अपनी पत्नी का शव अपने गृह जिले ले गए जहां शव का पोस्टमार्टम किया गया।(भाषा)