सेक्स की भूख, दरबानों से राजकुमारी के संबंध

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दीवान जरमनी द्वारा रचित उपन्यास 'महाराजा' के 18वें अंक 'राजकुमारी गोबिन्द कौर' में लिखा गया है कि राजकुमारी को सेक्स की भूख इस कदर थी कि उसने अपने दरबानों तक से यौन संबंध स्थापित कर लिए। इस मामले में उसे क्लिओपेट्रा और रूस की साम्राज्ञी कैथेराइन से कम नहीं मानाजा सकता।

इस अंश में कपूरथला के ततत्कालीन महाराजा निहालसिंह की बेटी गोबिन्द कौर की चर्चा है। 'महाराजा' उपन्यास हिंदुस्तान के राजा-महाराजाओं की निजी जीवनचर्या, प्रेम-प्रसंग और षड्यंत्र पर आधारित है।

 

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इसमें लिखा गया है कि राजकुमारी असाधारण रूप में विलासिनी, लंपट, और भोग-विलास प्रिय थी। उसकी कामपिपासा और शारीरिक भूख उसके पति द्वारा पूरी न हो पाती थी, जो बदसूरत, कमजोर और कमअक्ल था।

विकृति मस्तिष्क और शरीर वाला वह व्यक्ति नीच प्रकृति, कमजोर और व्यभिचारी था। राजकुमारी प्रायः सुंदर, जवान और हट्टे-कट्टे लोगों को किसी ना किसी बहाने महल के अंदर बुलाती और उनसे संभोग करती थी।

...और जब पति को पता चली राजकुमारी कर करतूत... पढ़ें अगले पेज पर...


उसने फाटक पर तैनात फौजी संतरियों तक को नहीं छोड़ा। अपने कामुक प्रेम-प्रसंगों में वह मिश्र की रानी क्लिओपेट्रा और रूस की साम्राज्ञी कैथेराइन महान से किसी प्रकार कम न थी।

उसके प्रेम और व्यभिचार की करतूतें उसके पति से छिपी नहीं थी। परेशान होकर अपनी किस्मत को कोसता हुआ वह महल से बाहर एक बारहदरी में जाकर रहने लगा था और कभी-कभी राजकुमारी को देखने आता था। उन दोनों का शारीरिक संबंध टूट चुका था।

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