जम्मू कश्मीर में आतंकियों के मददगार 3 सरकारी कर्मचारी बर्खास्त

सुरेश एस डुग्गर

सोमवार, 17 जुलाई 2023 (19:13 IST)
Jammu and Kashmir News : सरकार ने पाक आतंकी गुटों के साथ सक्रिय रूप से काम करने और आतंकियों को रसद मुहैया कराने, आतंकी विचारधारा का प्रचार करने, आतंकी वित्त जुटाने और अलगाववादी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए 3 अधिकारियों को सेवाओं से बर्खास्त कर दिया है। इनमें कश्मीर विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी फहीम असलम, राजस्व विभाग के अधिकारी मुरवत हुसैन मीर तथा पुलिस कांस्टेबल अर्शिद अहमद ठोकर शामिल हैं।
 
सरकार का कहना था कि कड़ी जांच के बाद स्पष्ट रूप से स्थापित होने के बाद कि वे आईएसआई और आतंकी गुटों की ओर से काम कर रहे थे। सरकार ने तीनों को बर्खास्त करने के लिए भारत के संविधान की धारा 311(2)(सी) का इस्तेमाल किया है। अब इन पर यूएपीए के तहत केस चलेगा।
 
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा द्वारा तीनों को बर्खास्त किए जाने की जानकारी सोमवार को सार्वजानिक की गई। सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि फहीम असलम जो वर्तमान में कश्मीर विश्वविद्यालय में जनसंपर्क अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं, एक कट्टर अलगाववादी हैं, जो न केवल अलगाववादी विचारधारा की सदस्यता और समर्थन करता है, जबकि कश्मीर में आतंकियों और आतंकी गुटों के लिए एक प्रमुख प्रचारक रहा है।
 
जांच से जुड़े सूत्रों के अनुसार, फहीम असलम को अगस्त, 2008 में एक आतंकी-अलगाववादी सरगना द्वारा कश्मीर विश्वविद्यालय में एक संविदा कर्मचारी के रूप में नियुक्त किया गया था और बाद में उसकी पुष्टि कर दी गई थी। उसके बारे में कहा जाता है कि वह आईएसआई से प्राप्त प्रारंभिक धन के साथ वैध व्यवसाय में उतरने से पहले आतंकी शब्बीर शाह के करीबी सहयोगी के रूप में काम करता था।
 
रिपोर्ट्स के मुताबिक बर्खास्त किए गए तीनों सरकारी कर्मचारियों की लंबे समय से निगरानी की जा रही थी। फहीम असलम द्वारा एक स्थानीय अखबार में लिखे गए लेख और सोशल मीडिया हैंडल पाकिस्तान के प्रति उसकी वफादारी की पुष्टि करते हैं। इनमें 23 मई 2020 को लिखी एक पोस्ट शामिल है।
 
इस पोस्ट में फहीम ने लिखा था कि एक सच्चाई जो कभी बदल नहीं सकती। कश्मीर हमेशा पाकिस्तान के साथ ईद मनाएगा। हम पाकिस्तान के साथ रहेंगे। एक अन्य पोस्ट में फहीम ने कश्मीर में मारे गए आतंकियों की तारीफ की थी। यूनिवर्सिटी में उसकी नियुक्ति भी संदेह के घेरे में है। तब इस पद के लिए न तो कोई विज्ञापन जारी हुआ था और न ही उसका पुलिस वेरिफिकेशन करवाया गया था।
 
जबकि बर्खास्त हुआ पुलिस कांस्‍टेबल अर्शिद अहमद साल 2006 में भर्ती हुआ था। शुरुआत में वह जम्मू-कश्मीर पुलिस के सशत्र बल में था जो बाद में नागरिक पुलिस में ट्रांसफर हो गया था। सिपाही अर्शिद अहमद ठोकर कई सुरक्षा प्राप्त लोगों के गनर के रूप में भी काम कर चुका है।
 
अर्शिद जैशे मुहम्मद आतंकी गुट के हार्डकोर ओवर ग्राउंड वर्कर मुश्ताक अहमद गनी उर्फ आरके के बेटे के संपर्क में आया था। मुश्ताक ने अर्शिद को जैशे मुहम्मद नेटवर्क से परिचित कराया और इस तरह वह बडगाम और पुलवामा, खासकर चादूरा-काकापोरा अक्ष में इस खतरनाक आतंकी गुट के लिए एक अपरिहार्य माध्यम और लाजिस्टिक समर्थक बन गया।
 
तीसरे बर्खास्त किए गए मुरावथ हुसैन मीर को 1985 में राजस्व विभाग में कनिष्ठ सहायक के रूप में नियुक्त किया गया था। 1990 में जैसे ही पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी और अलगाववादी अभियान जम्मू-कश्मीर में शुरू हुआ, वह आतंकवाद में पूरी तरह से शामिल हो गया। वह न केवल वैचारिक रूप से अलगाववादी मिथकों का कट्टर समर्थक बन गया, बल्कि वह हिजबुल मुजाहिदीन जैसे कई प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों के लिए एक प्रमुख व्यक्ति भी था।जम्मू

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