LAC पर चीन ने जमा किए 60 हजार सैनिक, मशीनगन से लैस रोबोट आर्मी भी तैनात करने की रिपोर्ट्स!

Webdunia
मंगलवार, 4 जनवरी 2022 (14:41 IST)
गलवान पर चीनी झंडा लगाने की खबरों के बीच एक बार फिर चीन एलएसी पर अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा रहा है। मीडिया खबरों के अनुसार चीन ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी पार पीएलए के करीब 60 हजार सैनिक जमा कर लिए हैं। चीन से उलझने की परिस्थितियों में भारतीय जवानों को रोबोट सैनिकों से मुकाबला करना होगा जो आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस से भरपूर हैं। 
 
हर साल पूर्वी लद्दाख की कड़कड़ाती ठंड में चीनी सेना वापस अपनी सीमा के अपेक्षाकृत कम ठंडे क्षेत्रों मे लौट जाती है लेकिन इस साल वहां लगभग 60 हजार सैनिक तैनात करने की सूचना मिली है। भारत ने भी यहां अपने सैनिकों की संख्‍या बढ़ा दी है।
 
भारत द्वारा चीनी सीमा के नजदीक सड़क और अन्य इंफ्रा निर्माण के साथ ही चीन ने भी सीमापार अपनी सेना के तेजी से आवागमन के लिए बुनियादी ढांचों का निर्माण करा रहा है। 
 
चीन से किसी भी खतरने को निपटने के लिए भारत ने लद्दाख थिएटर में राष्ट्रीय राइफल्स यूनिफॉर्म फोर्स का गठन किया है। भारतीय सेना को भी अलर्ट मोड पर रखा गया है। क्षेत्र में भारत भी अपने बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है।
 
डेली मेल की एक खबर के मुताबिक, चीनी सेना ने इन रोबोटों को मशीनगनों से लैस कर भारत से सटी एलएसी पर दर्जनों के हिसाब से तैनात किया है। बताया जाता है कि इन रोबोट सैनिकों को तैनात करने की जरूरत चीनी सेना को उस समय महसूस हुई जब भयानक सर्दी और मौसम की विपरीत परिस्थितियों के बीच लाल सेना को अपने जवानों के मनोबल को बनाए रखने में दिक्कत आई।
 
बताया जाता है कि चीनी सेना ने करीब 4 से 5 प्रकार के रोबोट सैनिकों को एलएसी पर तैनात किया है। इनमें शार्प क्लास, म्यूल 200, वीपी 22 आर्म्ड कैरियर, 150-लिनक्स नाम के रोबोट, रोबट व्हीकल शामिल हैं। जो सटीक निशाना लगाने और सभी प्रकार के हमलों से अपने आपको बचाने में सक्षम हैं।

राहुल ने साधा पीएम मोदी पर निशाना : पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के निकट पैंगोंग सो (झील) पर चीन द्वारा पुल का निर्माण किए जाने संबधी खबरों को लेकर मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और कहा कि उनकी ‘खामोशी’ की गूंज बहुत तेज है।
 
उन्होंने एक खबर का हवाला देते हुए ट्वीट किया, 'प्रधानमंत्री की खामोशी की गूंज बहुत तेज है। हमारी जमीन, हमारे लोग और हमारी सीमाएं इससे कहीं बेहतर की हकदार हैं।'

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