LGBTQ Community: नया साल नया समाज, Gay- marriage में बज रहे गाजे-बाजे, निकल रही बारात, दोस्‍त दे रहे इन रिश्‍तों का साथ, जानते हैं क्‍या है इतिहास?

कुछ समय पहले गे शब्‍द का इस्‍तेमाल करने पर लोगों के कान खड़े हो जाते थे। आलम यह था कि कोई इस विषय पर खुलकर बात भी नहीं करना चाहता था। लेकिन अब हालात बदल गए हैं। अब न सिर्फ यह कम्‍युनिटी खुलकर सामने आ रही है, बल्‍कि धूमधाम से शादी भी की जा रही है।

आइए जानते हैं हाल ही में हुई ऐसी गे शादियों के बारे में। और एलजीबीटी कम्‍युनिटी के बारे में कुछ तथ्‍य और इसका इतिहास।

अब वक्‍त बदलने के साथ Gay Wedding के मामले सामने आने लगे हैं। हैदराबाद में अभी कुछ समय पहले ही सुप्रियो चक्रबर्ती और अभय डांग ने भी समलैंगिक शादी की है। इस शादी के लिए हॉल बुक किया गया, मेंहदी और संगीत की रस्में निभाई गईं।

हैदराबाद ही नहीं, महाराष्ट के नागपुर में दो महिलाओं की रिंग सेरेमनी हुई है। जिसमें मेहमान भी शामिल हुए। ये शादियां ठीक वैसी ही थीं, जैसी आम शादियां होती हैं। जिसमें नाच-गाना, मौज-मस्ती और खाना पीना सब था।
यह तो सिर्फ एक बानगी है गे शादियों की। इसके साथ ही कोच्‍च‍ि और केरल के रहने वाले निकेश ऊषा पुष्करण और सोनू एमएस समलैंगिक पार्टनर हैं। दोनों ने जुलाई 2018 में शादी की थी। यह शादी उन्‍हें चोरी चोरी हुई थी, क्‍योंकि उनके रिश्‍तेदारों ने उन्‍हें सहमति‍ नहीं दी थी।

जब वे दुल्‍हा दूल्‍हन के लिबास में त्रिशूर गुरुवयूर मंदिर शादी के लिए पहुंचे, तो उनके साथ कुछ दोस्‍त ही थे। एक-दूसरे को अंगूठियां पहनाईं। और चुपचाप मंदिर से बाहर निकलकर पार्किंग स्थल पर एक-दूसरे के गले में वर मालाएं डाल दीं।

जब फेसबुक पर शादी की तस्वीर पोस्‍ट की तो उन्हें जान से मारने की धमकियां मिलीं। दरअसल, तब तक अदालत ने समलैंगिक संबंधों को कानूनी दर्जा दिया नहीं था। इसलिए निकेश और सोनू के पास पुलिस की सुरक्षा भी नहीं थी। इस सब के कारण उन्हें करीब एक साल तक अपना रिश्ता और शादी बाहर वालों से छिपाकर रखना पड़ी।

कुछ ऐसी ही कहानी कोलकाता के सुचंद्र दास और श्री मुखर्जी की है। उन्होंने अपने दोस्त के अपार्टमेंट में परंपरागत बंगाली रीति-रिवाज के साथ साल 2015 में शादी की थी, क्योंकि वे कोई शादी हॉल बुक नहीं कर सके थे। क्‍योंकि उन्‍हें डर था, कहीं कोई हंगामा न हो जाए।

हालांकि दास और मुखर्जी के सामने निकेश व सोनू की तुलना में कुछ कम मुश्किलात आईं। उनके साथ उनके दोस्‍त थे और उनकी सहमति भी।

कुछ ही वक्‍त पहले नागपुर में दो महिलाओं की रिंग सेरेमनी हुई है। इसमें करीब 150 मेहमान शामिल हुए। इसमें भी जमकर नाच-गाना और मौज-मस्ती हुई। बिना किसी झिझक, आशंका या डर के। महाराष्ट्र के ही यवतमाल में ऋषिकेश सठवाने और उनके वियतनामी पार्टनर ने 2017 में जब शादी की, तो वह भी इसी तरह अधिकांश लोगों की मंजूरी और सहमति से राजी-खुशी हुई।

LGBTQ Community के बारे में कुछ तथ्‍य  आखि‍र क्‍या होता LGBT का मतलब
L - लेस्बियन। एक महिला या लड़की का समान लिंग के प्रति आकर्षण होना। इसमें दोनों पार्टनर महिला ही होती हैं। कई बार किसी एक पार्टनर का लुक, पर्सनालिटी पुरुष जैसी हो सकती है या नहीं भी हो सकती है।

G - ‘गे जब एक आदमी को एक और आदमी से ही प्यार हो तो उन्हें ‘गे’ कहते हैं। ‘गे’ शब्द का इस्तेमाल कई बार पूरे समलैंगिक समुदाय के लिए किया जाता है, जिसमें ‘लेस्बियन’, ‘गे’, ‘बाइसेक्सुअल’ सभी आ जाते हैं।

B - ‘बाईसेक्सुअल जब किसी मर्द या औरत को मर्द और औरत दोनों से ही प्यार हो और यौन संबंध भी बनाते हों तो उन्हें ‘बाईसेक्सुअल’ कहते हैं। मर्द और औरत दोनों ही ‘बाईसेक्सुअल’ हो सकते हैं। दरअसल एक इंसान की शारीरिक चाहत तय करती है कि वो L है G है या फिर B है।

T- मतलब ट्रांसजेंडर वह इंसान जिनका शरीर पैदा होते समय कुछ और था और वह बड़ा होकर खुद को एकदम उलट महसूस करने लगे। जैसे कि पैदा होने के वक्त बच्चे के निजी अंग पुरुषों के थे और उसका नाम लड़के वाला था, लेकिन कुछ समय बाद उसने खुद को पाया कि वो तो लड़की जैसा महसूस करता है। इसमें लड़के लड़कियों वाले हार्मोंस डलवा लेते हैं, जिससे स्तन उभर आते हैं। ये लोग ‘ट्रांसजेंडर’ हैं। इसी तरह औरत भी मर्द जैसा महसूस करती है तो वो मर्दों की तरह लगने के लिए चिकित्सा का सहारा लेती है। वह भी‘ट्रांसजेंडर’ है।

Q का मतलब है ‘क्वीयर’। ऐसे इंसान जो न अपनी पहचान तय कर पाए हैं न ही शारीरिक चाहत। मतलब ये लोग खुद को न आदमी, औरत या ‘ट्रांसजेंडर’ मानते हैं और न ही ‘लेस्बियन’, ‘गे’ या ‘बाईसेक्सुअल’, उन्हें ‘क्वीयर’ कहते हैं। ‘क्वीयर’ के ‘Q’ को ‘क्वेश्चनिंग’ भी समझा जाता है।

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