मध्यप्रदेश में कफ सिरप कोल्ड्रिफ़ पीने से 16 बच्चों की मौत के मामले ने पूरे देश को हिला के रख दिया है। इस घटना के बाद पूरे मेडिसिनल प्रक्रिया के साथ ड्रग के धंधे में सक्रिय मेडिसिन माफिया पर भी सवाल उठ रहे हैं। हालांकि इंदौर में इस दवा का कोई स्टॉक नहीं मिला है, लेकिन बेतूल में एक बच्चा कफ सिरप पीने के बाद जिंदगी की जंग लड रहा है।
डॉक्टरों के मुताबिक बच्चे की दोनों किडनियां पूरी तरह फेल हो चुकी हैं। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टरों द्वारा दी गई दवाओं, खासकर कोल्ड्रिफ सिरप के सेवन के बाद बच्चों की तबीयत बिगड़ी। पहले भी निहाल और गर्मित धुर्वे नाम के दो बच्चों की इसी दवा के सेवन के बाद मौत हो चुकी है।
नागपुर में आईसीयू में एडमिट है बच्चा : मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में कफ सिरप पीने से दो बच्चों की मौत के बाद अब एक और बच्चा हर्ष यदुवंशी जिंदगी की जंग लड़ रहा है। तीसरे बच्चे की किडनी पूरी तरह फेल हो गई हैं। वह इस समय नागपुर मेडिकल कॉलेज में वेंटिलेटर सपोर्ट पर है। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं के सेवन से बच्चे की हालत लगातार बिगड़ती चली गई।
क्या कहा परिजनों ने : पहले दो मामले बैतूल जिले के ही थे, जहां निहाल धुर्वे (2 वर्ष) और गर्मित धुर्वे (2 वर्ष) की इलाज के दौरान मौत हो गई थी। दोनों का इलाज छिंदवाड़ा जिले के परासिया स्थित डॉक्टर प्रवीण सोनी द्वारा किया गया था। परिवारों का कहना है कि डॉक्टर ने कोल्ड्रिफ सिरप सहित अन्य दवाएं दी थीं, जिन्हें लेने के बाद बच्चों की तबीयत और बिगड़ गई। अब बैतूल के टिकाबर्री गांव में रहने वाले हर्ष यदुवंशी नामक बच्चे की हालत गंभीर है। बताया जा रहा है कि उसका इलाज भी परासिया के डॉक्टर अमित ठाकुर के क्लीनिक में हुआ था।
हर्ष के परिजनों ने बताया कि एक अक्तूबर को वे हर्ष को डॉक्टर अमित ठाकुर के पास ले गए थे। डॉक्टर ने जो दवाइयां दीं, उन्हें देने के कुछ ही घंटों बाद बच्चे की तबीयत और खराब हो गई। उसे बैतूल ले गए, लेकिन किसी भी डॉक्टर ने भर्ती नहीं किया। इसके बाद नागपुर ले जाना पड़ा। उनका कहना है कि डॉक्टर प्रवीण सोनी और अमित ठाकुर दोनों ने ही बच्चे को कोल्डड्रिफ सिरप दिया था, जिसके बाद बच्चे की तबीयत बिगड़ी।
दोनों किडनियां पूरी तरह फेल : नागपुर के अस्पताल में जांच के बाद डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे की दोनों किडनियां पूरी तरह फेल हो चुकी हैं। फिलहाल वह मेडिकल कॉलेज, नागपुर में इलाजरत है। परिवार ने बताया कि अब तक 2.50 लाख रुपए तक का खर्च हो चुका है और बच्चे की हालत अब भी गंभीर बनी हुई है।
डॉक्टरों, मेडिकल की जांच शुरू : लगातार तीन बच्चों की जान खतरे में पड़ने के बाद जिले में दवा विक्रेताओं और डॉक्टरों की जांच शुरू हो गई है। स्वास्थ्य अमला निजी क्लीनिकों, मेडिकल स्टोर्स और थोक विक्रेताओं से दवाओं के रिकॉर्ड खंगाल रहा है। जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा तीनों मामलों में दवाओं और लक्षणों की समानता देखी जा रही है। फिलहाल जांच पूरी कर रिपोर्ट भेजी जा रही है। रिपोर्ट आने के बाद आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
Edited By: Navin Rangiyal