दिल्ली के मुख्य सचिव को लिखे एक पत्र में आयोग ने संसदीय सचिवों के रूप में उन्हें उपलब्ध कराई जा रही सुविधाओं के बारे में जानकारी मांगी है। आयोग ने संसदीय सचिवों के रूप में इनके कामकाज का ब्योरा भी मांगा है। दिल्ली सरकार के इस संबंध में दिए जाने वाले जवाब से आयोग को 14 जुलाई से निजी तौर पर उनकी बात सुनने की प्रक्रिया शुरू करने से पूर्व एक राय बनाने में मदद मिलेगी।
आप सरकार ने इसके बाद 1997 के दिल्ली विधानसभा सदस्य (अयोग्यता की समाप्ति) अधिनियम में संशोधन कर पूर्व प्रभाव से इसे कानूनी मंजूरी देने का प्रयास किया था। पिछले वर्ष जून में इस संबंध में पारित विधेयक को केंद्र सरकार के पास भेजा गया था लेकिन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने इस पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया। निर्वाचन आयोग ने राष्ट्रपति के रूख का संज्ञान लिया है। (भाषा)