न्यायालय ने सिंह की उन दो याचिकाओं पर उत्तरप्रदेश सरकार से जवाब मांगा है, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर नफरत फैलाने वाले बयान मामले में दर्ज अनेक प्राथमिकियों को एक साथ करने और उन्हें रद्द करने का अनुरोध किया है। ये प्राथमिकियां पिछले वर्ष 12 अगस्त को सिंह द्वारा आयोजित संवाददाता सम्मेलन के बाद दर्ज की गई थीं। सिंह ने आरोप लगाया था कि राज्य सरकार समाज के एक खास वर्ग की तरफदारी कर रही है।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति आरएस रेड्डी की पीठ ने सुनवाई के दौरान सिंह के वकील ने कहा कि वह जाति और धर्म के आधार पर समाज को बांट नहीं सकते। सिंह की ओर से पेश अधिवक्ता विवेक तन्खा और सुमीर सोढ़ी ने कहा पुलिस ने मामला दर्ज करते वक्त प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया और राज्यसभा के सांसद के खिलाफ कार्रवाई के लिए मंजूरी नहीं ली गई।
इस पर पीठ ने कहा कि वह इस चरण में मंजूरी के पहलू पर गौर नहीं करेंगे, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सिंह के खिलाफ कोई अपराध नहीं लगाए गए हैं। गौरतलब है कि दो फरवरी को उच्चतम न्यायालय ने सिंह को लखनऊ में दर्ज एक प्राथमिकी पर जारी गैर जमानती वारंट से सुरक्षा देने से इनकार किया था।