Hindenburg : हिंडनबर्ग के आरोपों को Adani Group ने बताया दुर्भावनापूर्ण, SEBI प्रमुख को लेकर दिया यह बयान

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

रविवार, 11 अगस्त 2024 (13:55 IST)
Adani Group's statement on the allegations of Hindenburg Research : अडाणी समूह ने अमेरिकी शोध एवं निवेश फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च के नवीनतम आरोपों को दुर्भावनापूर्ण और चुनिंदा सार्वजनिक सूचनाओं से छेड़छाड़ करने वाला बताते हुए रविवार को कहा कि उसका बाजार नियामक सेबी की चेयरपर्सन या उनके पति के साथ कोई वाणिज्यिक संबंध नहीं है।
ALSO READ: हिंडनबर्ग की चेतावनी, अडाणी के बाद अब किसकी बारी?
अडाणी समूह ने शेयर बाजार को दी एक सूचना में कहा, हिंडनबर्ग के नए आरोप सार्वजनिक रूप से उपलब्ध सूचनाओं का दुर्भावनापूर्ण, शरारती और छेड़छाड़ करने वाला चयन है। ऐसा तथ्यों और कानून की अवहेलना करते हुए निजी मुनाफाखोरी के लिए पूर्व-निर्धारित निष्कर्षों पर पहुंचने के इरादे से किया गया है।
 
ये उन अस्वीकार किए जा चुके दावों का दोहराव हैं : समूह ने कहा, हम अडाणी समूह के खिलाफ इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हैं। ये उन अस्वीकार किए जा चुके दावों का दोहराव हैं जिनकी गहन जांच की गई है, जो निराधार साबित हुए हैं और जनवरी, 2024 में उच्चतम न्यायालय द्वारा पहले ही खारिज कर दिए गए हैं।
ALSO READ: संजय सिंह बोले, सरकार को थी हिंडनबर्ग खुलासे की भनक, 3 दिन पहले समाप्त किया संसद सत्र?
हिंडनबर्ग ने शनिवार रात को जारी एक ब्लॉगपोस्ट में कहा कि सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति ने विदेश में स्थित उन इकाइयों में निवेश किया, जो कथित तौर पर इंडिया इन्फोलाइन द्वारा प्रबंधित एक फंड का हिस्सा थे और उसमें अडाणी समूह के चेयरमैन गौतम अडाणी के बड़े भाई विनोद अडाणी ने भी निवेश किया था।
 
हिंडनबर्ग के मुताबिक, बुच दंपति के ये निवेश 2015 के हैं जो सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में माधवी की 2017 में नियुक्ति और मार्च 2022 में चेयरपर्सन के रूप में उनकी पदोन्नति से काफी पहले के हैं।
 
अमेरिकी निवेश फर्म ने कहा कि बरमूडा स्थित ग्लोबल ऑपर्च्युनिटीज फंड भी इस फंड में निवेश करने वालों में शामिल था। अडाणी समूह से जुड़ी इकाइयों द्वारा समूह की कंपनियों के शेयरों में कारोबार के लिए कथित तौर पर ग्लोबल ऑपर्च्युनिटीज फंड का ही इस्तेमाल किया गया था।
ALSO READ: हिंडनबर्ग के खुलासे पर भड़की AAP, सिर से पांव तक भ्रष्टाचार में डूबी मोदी सरकार
निवेश कंपनी ने ‘व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों’ का हवाला देते हुए कहा, सेबी की वर्तमान प्रमुख बुच और उनके पति के पास अडाणी समूह में धन के हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए दोनों अस्पष्ट ‘ऑफशोर फंड’ में हिस्सेदारी थी। विदेशी बाजारों में निवेश करने वाले फंड को ऑफशोर फंड या विदेशी कोष कहते हैं।
 
हिंडनबर्ग ने दावा किया है कि अडाणी समूह के मॉरीशस और विदेशी फर्जी इकाइयों के कथित अस्पष्ट जाल को लेकर सेबी ने आश्चर्यजनक रूप से रुचि नहीं दिखाई है। अडाणी समूह ने इन आरोपों का जवाब देते हुए नियामकीय सूचना में कहा, हम यह दोहराते हैं कि हमारी विदेशी होल्डिंग संरचना पूरी तरह से पारदर्शी है, जिसमें सभी प्रासंगिक विवरण नियमित रूप से कई सार्वजनिक दस्तावेजों में जाहिर किए जाते हैं।
 
हमारी प्रतिष्ठा को बदनाम करने का प्रयास : इसमें कहा गया कि अनिल आहूजा अडाणी पावर (2007-2008) में थ्री-आई निवेश फंड के नामित निदेशक थे और बाद में 2017 तक अडाणी एंटरप्राइजेज के निदेशक रहे थे। समूह ने कहा, हमारी प्रतिष्ठा को बदनाम करने के लिए जानबूझकर किए गए इस प्रयास में उल्लिखित व्यक्तियों या मामलों के साथ हमारा कोई वाणिज्यिकि संबंध नहीं है। हम पारदर्शिता और सभी कानूनी एवं नियामकीय प्रावधानों के अनुपालन के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध हैं।
ALSO READ: हिंडनबर्ग के आरोपों पर सेबी प्रमुख माधवी बुच का जवाब, जानिए क्या कहा?
इसके साथ ही अडाणी समूह ने हिंडनबर्ग को 'भारतीय प्रतिभूति कानूनों के कई उल्लंघनों के लिए जांच के दायरे में आया एक बदनाम शॉर्ट-सेलर' बताते हुए कहा, हिंडनबर्ग के आरोप भारतीय कानूनों के प्रति पूरी तरह से अवमानना ​​करने वाली एक हताश इकाई के भुलावे से अधिक कुछ नहीं हैं। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी