Prayagraj Mahakumbh 2025: प्रयागराज महाकुंभ मेले का आकर्षण और सनातन परांपरा की अगुवाई करने वाले शैव अखाड़े अब तीर्थराज प्रयाग से विदा लेकर अपने अलग गंतव्य की तरफ कूच कर रहे है। शुक्रवार को कुंभ से विदाई के दौरान अखाड़ों ने अपने विधि-विधान के साथ इष्टदेव की पूजा-अर्चना करते हुए भभूत से अपना श्रृंगार किया। कुंभ 2025 से अखाड़ों ने विदा लेने से पहले अखाड़े में स्थापित धर्मध्वजा का पूजा की और परम्परा के मुताबिक कड़ी-चावल का प्रसाद वितरित किया। इस विदा बेला पर साधु-संतों को फूलों का हार पहनाकर वहां मौजूद लोगों ने आशीर्वाद लिया है।
औपचारिक समापन महाशिवरात्रि को : अखाड़ों ने कुंभ मेले में लगभग 22 दिन अपनी धूनी रमाई रखी थी, लेकिन अब अखाड़ों की धर्मध्वजा ढीली करने के बाद कुंभ मेले का आकर्षण भी आधा हो जाएगा। कुंभ मेले में मुख्य आकर्षण का केन्द्र नागा साधु होते हैं। दूर-दराज से श्रद्धालु नागा साधुओं का आशीर्वाद लेने आते हैं। अब अखाड़ों की धर्मध्वाजा ढीली होने के बाद साधु-संत विदा ले चुके हैं, लेकिन उनकी ढीली हुई धर्मध्वजा महाशिवरात्रि के बाद ही छावनी से उतारी जाएगी और औपचारिक रूप से महाशिवरात्रि के बाद कुंभ मेले का समापन होगा।