बोर्ड ने भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर याचिका का विरोध किया है। उपाध्याय ने अपनी अर्जी में तलाक के लिए समान आधार तय करने का अनुरोध करते हुए कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21 और 44 पर पर्सनल लॉ खरा नहीं उतरता है।
अपनी अर्जी में किए गए अनुरोध को लागू करने की मांग करते हुए उपाध्याय ने कहा, आवेदक यह निवेदन करना चाहता है कि संविधान के अनुच्छेद 13 की भावना और परंपरा और उपयोग धार्मिक भावना के आधार पर पर्सनल लॉ को शामिल नहीं करता है।