नई दिल्ली। एम्स में विशेषज्ञों ने कहा कि पूरक और वैकल्पिक दवाओं (Alternative medicines) के सेवन से लीवर (यकृत) को कई स्तरों पर नुकसान पहुंच सकता है।
डॉक्टरों ने बताया कि उनके पास कुछ वैसे मरीज आते हैं जो पहले से वैकल्पिक दवाएं लेते रहे हैं और वे दवाइयां गैर सत्यापित और गैर ब्रांडेड होती हैं। ऐसी दवाएं गैर पंजीकृत डॉक्टर लिखते हैं। इन दवाओं के सेवन से लीवर में जख्म होता है।
एम्स गैस्ट्रोएन्टरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉक्टर अनूप सराया ने बताया कि झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा बताई गई दवाओं में भारी पदार्थ, स्टेरॉयड्स और अन्य संभावित जहरीले तत्व होते हैं और उनके सेवन से पीलिया और कई बार लीवर खराब होने जैसी बीमारियां तक हो जाती हैं।
उन्होंने लोगों को ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों के यहां जाने से बचने को कहा और पंजीकृत डॉक्टरों द्वारा बताई गई दवाएं लेने की सलाह दी। विशेषज्ञों ने हेपेटाइटिस से बचाव और रोकथाम में समाज से भागीदारी की अपील की। उन्होंने कहा कि खासतौर पर रक्त से संबंधित बीमारियां हेपेटाइटिस बी और सी से बचने में समाज का साथ जरूरी है।
विशेषज्ञों ने कहा कि आज भी हेपेटाइटिस के मरीज को कुछ जगहों पर अछूत माना जाता है और उन्हें नौकरियां या दाखिला नहीं दिया जाता है या संबंधो में भी दिक्कत आती है। लेकिन यह सभी जागरूकता की कमी की वजह से है।