जम्मू। क्या इस बार भी अमरनाथ यात्रा का प्रतीक हिमलिंग जल्दी पिघल जाएगा? यह सवाल इसलिए उठ खड़ा हुआ है क्योंकि यात्रा के आधिकारिक तौर पर शुरू होने से पहले ही 10 हजार से अधिक श्रद्धालु 14500 फुट की ऊंचाई पर बनने वाले हिमलिंग के दर्शन कर चुके हैं। इसे अब दबे स्वर में स्वीकार किया गया है कि यात्रा के लिए तैनात सुरक्षाकर्मियों तथा लंगरवालों के साथ-साथ अन्य कुछ श्रद्धालु भी गुफा तक पहुंचने में कामयाब हुए हैं। इनकी संख्या 10 हजार से अधिक बताई जा रही है और यह सिलसिला पिछले लगभग 15 दिनों से जारी है।
यात्रा की शुरुआत से पहले दर्शन करने के सबूत सोशल मीडिया पर भी धूम मचा रहे हैं। पहले तो अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड के अधिकारी इन पर खामोशी अख्तियार किए हुए थे, लेकिन अब उन्होंने इसे माना है कि ऐसा हो रहा है। हालांकि पिछले साल तक श्राइन बोर्ड श्रद्धालुओं को धमकाता रहा था कि जो यात्रा की शुरुआत से पहले गुफा तक पहुंचेगा, उसे जेल में डाल दिया जाएगा।
हिमलिंग को पिघलने से बचाने की खातिर कई उपाय भी लगातार किए जाते रहे हैं, पर कोई भी कामयाब नहीं हुआ है। इसकी खातिर गुफा में लगाई गई लोहे की रेलिंग को हटाने का निर्देश कोर्ट भी दे चुका है क्योंकि रेलिंग भी हिमलिंग को भक्तों की सांसों की गर्मी से पिघलने से रोक नहीं पाती है।
पहला जत्था रविवार को : रविवार यानी 30 जून की सुबह पहला जत्था अमरनाथ यात्रा के लिए रवाना होगा। अगर मौसम ने साथ दिया तो 30 जून की शाम को ही पहले जत्थे के श्रद्धालु 14 हजार 500 फुट की ऊंचाई पर बनने वाले हिमलिंग के प्रथम दर्शन करेंगे। यात्रा में शामिल होने जा रहे लाखों श्रद्धालुओं की सेवा के लिए लखनपुर से लेकर पवित्र गुफा तक 150 से अधिक लंगरों की व्यवस्था स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा की गई है। यही नहीं सेना समेत एक लाख से अधिक सुरक्षाकर्मी करीब 60 दिनों तक लखनपुर से लेकर गुफा तक श्रद्धालुओं की सेवा में लगे रहेंगे।
प्रतिदिन 15 हजार श्रद्धालुओं को पहलगाम तथा बालटाल के रास्ते यात्रा में शामिल होने की अनुमति दी गई है। अभी तक करीब ढाई लाख श्रद्धालुओं ने अपना पंजीकरण विभिन्न माध्यमों से करवाया है, जबकि ऑन स्पॉट पंजीकरण को भी एकाध दिन में खोल दिया जाएगा। यात्रा का मुख्य बेस कैंप जम्मू के यात्री भवन में बनाया गया है।