अमरनाथ यात्रा : भारतीय सेना ने यात्रियों की सुरक्षा के लिए बदली रणनीति

सुरेश एस डुग्गर
गुरुवार, 8 जून 2023 (22:21 IST)
जम्मू। Amarnath Yatra 2023 : 30 जून से आरंभ होने जा रही अमरनाथ यात्रा को सुरक्षित बनाने हजारों सैनिकों को दक्षिण-कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में व्यापक तलाशी अभियान आरंभ करने की तैयारी करने को कहा गया है। इन अभियानों का लक्ष्य ‘तलाश करो और मार डालो’ ही होगा। अभी तक यही होता आया था कि सेना अमरनाथ यात्रा की शुरुआत से पहले आतंकियों को क्षेत्र से भगाने का अभियान छेड़ती थी लेकिन अब रणनीति को बदल दिया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा अब सभी की चिंता का कारण बनने लगी है।
 
हालांकि सेना की 15वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अमरदीप सिंह औजला कहते थे कि अमरनाथ की वार्षिक तीर्थयात्रा के लिए श्रद्धालु निर्भय होकर आएं। उनका कहना था कि वे एक सुरक्षित और विश्वासपूर्ण वातावरण में यात्रा करें, इसके लिए सेना पूरी तरह तैयार है। उनका दावा था कि तीर्थयात्रा में आतंकियों व उनके समर्थकों को किसी भी प्रकार से गड़बड़ी का मौका नहीं मिलेगा।
 
अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा को लेकर चिंता हमेशा प्रकट की जाती है। खासकर ताजा टारगेट किलिंग वाले हमलों के बाद। दरअसल, पाकिस्तान और आतंकी बौखलाहट में हैं। एलओसी और सीमा पर घुसपैठ के प्रयासों को असफल किया जा रहा है और कश्मीर वादी में आतंकियों को मौत के घाट उतारा जा रहा है।

ऐसे में आतंकियों पर उस पार से कुछ बड़ा करने का दबाव बना हुआ है जबकि आतंकियों का साथ देने को अब पत्थरबाजों की फौज भी हाइब्रिड आतंकी बन उनके साथ हथियार उठा कर मैदान में है जिस कारण सुरक्षाबलों पर दोहरा भार आन पड़ा है।
 
बीएसएफ के कश्मीर फ्रंटियर के महानिरीक्षक अशोक यादव भी कहते थे कि यात्रा के दौरान शांति, सुरक्षा एवं विश्वास का वातावरण बनाए रखने और किसी भी आतंकी षड्‍यंत्र को विफल बनाने के लिए विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों का एक समन्वित सुरक्षा प्रतिक्रिया तंत्र तैयार किया गया है।

उन्होंने कहा कि एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर घुसपैठ भी लगभग समाप्त हो चुकी है, लेकिन एलओसी पर स्थित पहाड़ों पर बर्फ पिघल रही है और ऐसे में घुसपैठ के कई पुराने परम्परागत रास्ते भी खुलेंगे। आतंकी इन रास्तों का इस्तेमाल कर जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ का प्रयास करेंगे। इसलिए आने वाले दिनों में घुसपैठ की कोशिशों में बढ़ोतरी होगी जो अमरनाथ यात्रा के लिए खतरा पैदा कर सकती हैं।
 
अगर रक्षाधिकारियों की मानें तो दक्षिण कश्मीर समेत अन्य इलाकों में हर बार हुए आतंकी हमले आतंकियों की उस हताशा का परिणाम होता था जो सेना के ‘तलाश करो और मार डालो’ अभियान से उनमें फैलती थी। खबरों के मुताबिक, अमरनाथ गुफा के रास्तों पर सेना के जवानों की तैनाती का कार्य विपरीत मौसम के बावजूद इस बार जल्दी ही आरंभ हो जाएगा। और सेना तैनाती से पूर्व क्षेत्र को आतंकियों से मुक्त कर लेना चाहती है, चाहे वे संख्या में नगण्य ही माने जा रहे हैं।
 
इसे फूल प्रूफ बनाने को सेना भी पूरी तरह से मैदान में उतरने की तैयारी में है। उसका सारा जोर दक्षिण कश्मीर में है जहां अमरनाथ यात्रा में शामिल होने वाले लाखों श्रद्धालु आएंगें और चिंता की बात यह है कि कश्मीर में अधिकतर आतंकी हमलों, आतंकी गतिविधियों तथा पत्थरबाजों का गढ़ भी हमेशा दक्षिण कश्मीर ही रहा है।
 
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वैष्णो देवी की तीर्थयात्रियों का पहला दर्शन अब तिरुपति बालाजी
 
वैष्णो देवी की तीर्थयात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं को अब पहला दर्शन कौल कंडोली का नहीं होगा बल्कि भगवान वेंकटेश्वर का होगा क्योंकि तिरुपति बालाजी अब जम्मू में पधार चुके हैं। दरअसल, आज जम्मू में वैष्णो देवी यात्रा मार्ग पर प्रदेश के पहले तिरूपति बालाजी के मंदिर का उद्घाटन हुआ है और भक्तों के लिए मंदिर के कपाट खोल दिए गए हैं।
वैष्णो देवी यात्रा के प्राचीन रास्ते में पहला दर्शन नगरोटा स्थित कौल कंडोली माता का मंदिर माना जाता रहा है पर अब जम्मू-कटड़ा नेशनल हाईवे पर तिरूपति बालाजी का मंदिर बन जाने से भक्तों को अब उनका पहला दर्शन करना होगा। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस मंदिर का उद्घाटन किया।

इस दौरान केंद्रीय मंत्री जी कृष्णा रेड्डी, केंद्रीय राज्यमंत्री जिंतेंद्र सिंह, सांसद जुगल किशोर शर्मा व अन्य अधिकारी भी मौजूद थे। मंदिरों के शहर जम्मू में शिवालिक पहाड़ पर बने पहले तिरुपति बालाजी मंदिर के कपाट भक्तों के लिए खोल दिए जाने के बाद आंध्रप्रदेश से आए भगवान वेंकटेश्वर के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा है।
 
मंदिर में मूर्ति प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम के समापन के बाद ही बुधवार भगवान बालाजी की मूर्ति मंदिर में स्थापित कर दी गई थी। सुबह से ही भगवान के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं का आना आरंभ हो गया था।

उपराज्यपाल ने जम्मू वासियों के लिए इस अवसर को आलौकिक बताते हुए कहा कि यह सौभाग्य की बात है कि त्रिकुट पर्वत पर मां वैष्णो, कश्मीर में बाबा अमरनाथ और अब शिवालिक वनों में भगवान वेंकटेश्वर लोगों का कल्याण करने के लिए आए हैं। उन्होंने कहा कि इससे धार्मिक पर्यटन को और बढ़ावा मिलेगा।
हालांकि मंदिर का उद्घाटन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को करना था, लेकिन वे किसी कारण इस कार्यक्रम का हिस्सा नहीं बन पाए। गृहमंत्री अमित शाह ने वर्चुअल माध्यम से कार्यक्रम को संबोधित करते हुए लोगों को मंदिर के कपाट खुलने पर शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि वह जब भी प्रदेश दौरे पर पहुंचेंगे तो इस मंदिर में भगवान के दर्शन के लिए जरूर आएंगे।
 
केंद्रीय मंत्री जी कृष्णा रेड्डी ने कहा कि तिरुपति बाला देवस्थानम ट्रस्ट सनातन परम्पराओं को फिर से सशक्त और जीवंत बना रहा है। यह मंतातरण को रोकने का भी काम करता है। उन्होंने कहा कि आज यहां जम्मू में तिरुपति बाला जी का मंदिर खुलने दुनियाभर में एक बार फिर कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत की एकात्मकता और आध्यात्मिक एकता का संदेश गया है।
 
तिरुपति बालाजी का मंदिर सिद्दड़ा के मजीन गांव में 62 एकड़ भूमि पर करीब 30 करोड़ की लागत से तैयार किया गया है। इससे पहले बुधवार को मंदिर में आठ और छह फुट की भगवान वेंकटेश्वर की मूर्तियां प्रतिष्ठापित कर दी गई हैं। 
 
गर्भगृह में 8 फुट की मूर्ति : आंध्रपदेश से आए 45 के करीब विद्वानों द्वारा पूजा-अर्चना, वैदिक मंत्रों के साथ मूर्तियां प्रतिष्ठापित की गईं। इस दौरान काफी संख्या में भक्तजन पहुंचे थे।
 
मंदिर के मुख्य गर्भ ग्रह में 8 फुट ऊंची भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति प्रतिष्ठापित की गई है। मूर्ति के निर्माण में ग्रेनाइट का इस्तेमाल किया गया है। गर्भ ग्रह के बाहर भी छह फुट की भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति प्रतिष्ठापित की गई है। ये मूर्तियां आंध्र प्रदेश के गुंतूर शहर से लाई गई हैं। मंदिर में 6 मई से मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की विशेष पूजा शुरू हुई थी, जिसके बाद से धार्मिक अनुष्ठान जारी था।

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