Amarnath Yatra : जिस अमरनाथ यात्रा से जम्मू-कश्मीर प्रशासन इस बार नाउम्मीद हुआ है वह अब कल यानी 31 अगस्त को दोहरी श्रावण पूर्णिमा के बावजूद यात्रा की प्रतीक छड़ी मुबारक की स्थापना के साथ ही समाप्त हो जाएगी। इतना जरूर था कि इस बार के अनुभव के चलते प्रशासन ने अनेकों संस्थाओं के उस सुझाव पर विचार करने का फैसला जरूर किया है जिसमें कई सालों से यात्रा की अवधि को घटाकर एक माह करने के लिए कहा गया है।
हालांकि अब इसके लिए मौसम को अधिक दोषी ठहराया जा रहा है पर पिछले कई सालों की यह परंपरा बन चुकी है कि यात्रा के प्रतीक हिमलिंग के पिघलने के उपरांत यात्रा हमेशा ढलान पर रही है। श्राइन बोर्ड की तमाम कोशिशों के बावजूद हिमलिंग यात्रा के शुरू होने के कुछ ही दिनों के उपरांत पूरी तरह से पिघल जाता रहा है।
ऐसे में श्राइन बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार, यात्रा की अवधि पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता आन पड़ी है। दरअसल कई सालों से जब से यात्रा की अवधि को दो से अढ़ाई माह किया गया है, कई संस्थाओं ने इसे घटाने के सुझाव दिए हैं। लंगर लगाने वाली संस्थाओं ने इसे घटाकर 25 से 30 दिनों तक ही सीमति करने का आग्रह कई बार किया है।
अगर देखा जाए तो यात्रा की अवधि कम करने की बात पर्यावरण विभाग और अलगाववादी भी पर्यावरण की दुहाई देते हुए अतीत में करते रहे हैं। पर अब अधिकारियों को लगने लगा है कि हिमलिंग के पिघल जाने के उपरांत यात्रा में श्रद्धालुओं की शिरकत को जारी रख पाना संभव नहीं है जब तक कि हिमलिंग को सुरक्षित रखने के उपाय नहीं ढूंढ लिए जाते।
श्राइन बोर्ड के दावानुसार, इस बार यात्रा में शामिल होने वालों ने बमुश्किल 4.50 लाख का आंकड़ा छुआ है। अमरनाथ श्राइन बोर्ड को उम्मीद थी कि 8 से 10 लाख से अधिक श्रद्धालु इसमें शिरकत करेंगें और वे तीन से चार हजार करोड़ का बिजनेस प्रदेश के व्यापारियों को देंगे।
अधिकारियों ने बताया कि कल सुबह महंत दीपेंद्र गिरि के नेतृत्व में छड़ी मुबारक पवित्र गुफा पहुंचेगी और वहां इसकी स्थापना के साथ ही यात्रा का समापन हो जाएगा। वार्षिक अमरनाथ यात्रा कल श्रावण पूर्णिमा के दिन 14500 फुट की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा के मुख्य दर्शनों के साथ ही संपन्न होगी। 30 जून को आरंभ हुई अमरनाथ यात्रा के 62 दिनों के भीतर 4.50 लाख श्रद्धालुओं ने हिमलिंग के दर्शन किए हैं। पिछले कई दिनों से यात्रा आम श्रद्धालुओं के लिए इसलिए बंद रखी गई है क्योंकि तलाश करने पर भी श्रद्धालु नहीं मिल रहे थे।
कल पूजा प्रतिष्ठा के बाद इस छड़ी मुबारक को पुनः उसी अखाड़े में स्थापित कर दिया जाएगा यहां से चली थी। कल शाम को छड़ी मुबारक को रात्रि विश्राम के लिए वापस पंजतरनी ले जाया जाएगा। फिर परसों रात तक छडी मुबारक पहलगाम पहुंचेगी। पहलगाम के ही लिद्दर नदी पर पूजा और विसर्जन के बाद साधु-संतों के लिए पारंपरिक कढ़ी-पकौड़ा भंडारा का आयोजन किया जाएगा।
इतना जरूर था कि अब जबकि यात्रा संपन्न हो गई है तो सरकार ने राहत की सांस ली है। सुरक्षाबलों ने अपनी मेहनत, सतर्कता और चौकसी के कारण उन सभी कोशिशों को नाकाम बना दिया जो यात्रा के लिए घातक साबित हो सकती थीं। पिछले कुछ वर्षों से यह देखने को मिल रहा था कि आतंकी हमले अमरनाथ श्रद्धालुओं में नए उत्साह का संचार करते रहे और प्रत्येक आतंकी घटना के उपरांत यात्रा में शामिल होने वालों की संख्या और बढ़ जाती थी जिस कारण प्रशासन के लिए परेशानियां पैदा होती थीं।