गौरतलब है कि कर्नाटक में अप्रैल-मई महीने में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। श्री शिवकुमार स्वामी से शाह की मुलाकात को लिंगायत/ वीरशैव समुदाय तक पहुंच कायम करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। राज्य में इस समुदाय की आबादी अच्छी-खासी है और यह राजनीतिक तौर पर ताकतवर माना जाता है। इस समुदाय में भाजपा की अच्छी पैठ बताई जाती है।
स्वामी और शाह की मुलाकात इसलिए भी अहम है, क्योंकि यह ऐसे समय में हो रही है, जब पिछले दिनों ही कर्नाटक की सिद्दारमैया सरकार ने केंद्र से सिफारिश की है कि वह लिंगायत एवं वीरशैव लिंगायत समुदाय को धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा दे। सिद्दारमैया सरकार के इस कदम को लिंगायतों को भाजपा से दूर करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
भाजपा अध्यक्ष ने उनके दीर्घायु होने की कामना की और शिक्षा के जरिए समाज के सभी वर्गों को साथ लाने के उनके प्रयासों को सराहा। लिंगायत एवं दलित समुदायों से जुड़े मठों में जाने के अलावा शाह किसानों एवं व्यापारियों की सभाएं और पार्टी कार्यक्रमों को संबोधित करेंगे। वे रोड शो भी कर सकते हैं। मध्य कर्नाटक के अपने दौरे के तहत रविवार को शाह बेक्किंकल, सिरगेरे और मुरुगा मठों में जाएंगे। (भाषा)