अभिनेता (62) ने कहा कि एक नई प्रवृत्ति उभरी है कि जो भी देश के लिए बोलता है उसे आरएसएस या भाजपा की ओर झुकाव रखने वाला बता दिया जाता है। उन्होंने कहा कि हम राष्ट्रवादी होने का ठप्पा नहीं रखते, हम अपने दिलों में राष्ट्रवाद को रखते हैं लेकिन कई बार मुझे लगता है कि आपको अपना राष्ट्रवाद दिखाना जरूरी हो जाता है।
उन्होंने कहा कि दुख की बात है कि हम जवानों को केवल वर्दी पहने एक व्यक्ति के तौर पर देखते हैं। हम उन्हें बेटों, पतियों और पिताओं के रूप में नहीं देखते। उन्होंने कहा कि छद्म बुद्धिजीवी उस वीडियो पर चुप है कि हाल ही में कैसे जवानों के साथ दुर्व्यवहार किया गया लेकिन जब एक व्यक्ति को मानव ढाल बनाने वाली वीडियो आई तो वे सभी लोग इकट्ठे हो गए और मानवाधिकारों के बारे में बात करने लगे।
उन्होंने लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) एचएस पनाग के ट्वीट को लेकर उन्हें आड़े हाथ लेते हुए कहा कि यह दुखद है कि लोग चर्चा में आने के लिए ऐसी टिप्पणी करते हैं। दरअसल, पनाग ने पत्थरबाजों से बचने के लिए एक आम आदमी का इस्तेमाल करने को लेकर सशस्त्र बल की निंदा की थी। करीना अरोड़ा की पहली किताब 'द स्पिरिट ऑफ द रिवर' के विमोचन के मौके पर खेर राष्ट्रीय राजधानी के इंडिया हैबिटेट सेंटर आए हुए थे। (भाषा)