जेटली बोले, कम हुआ विदेशों में रखा भारतीयों का कालाधन

रविवार, 10 जुलाई 2016 (15:28 IST)
अहमदाबाद। केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने रविवार को दावा किया कि केंद्र में नरेन्द्र मोदी सरकार के सत्तारूढ़ होने के 2 साल के शासन के बाद विदेशों में भारतीयों के कालाधन की मात्रा में खासी कमी आई है।
 
जेटली ने आय जाहिर करने संबंधी योजना 'इंकम डिक्लेरेशन स्कीम 2016' से जुड़ी एक कार्यशाला के दौरान रविवार को यहां यह भी कहा कि सरकार की ओर से उठाए जा रहे कदमों के कारण देश के बाहर गैरकानूनी तरीके से धन रखने वालों के बीच भय का माहौल है। 
 
उन्होंने कहा कि पहले के करीब 65 सालों में देश के बाहर रखे गए कालेधन के बारे में बहुत कम कदम उठाए गए तथा आज ऐसे लोगों में भय है। पिछले 65 साल में विदेशों में कालेधन के बारे में जो कुछ किया गया, वह मात्र पिछले 2 साल में हमारी सरकार के कदमों का एक बहुत ही छोटा अंश मालूम होता है। 
 
उन्होंने कहा कि मोदी ने सत्ता संभालने के बाद जो पहला काम किया और जो उनकी कैबिनेट का पहला फैसला था वह था कालेधन पर विशेष जांच दल यानी एसआईटी का गठन करना। एक ऐसा फैसला जिसे उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बावजूद पूर्व की यूपीए सरकार ने 3 साल से लंबित रखा था। आज सरकार देश के भीतर और बाहर कालेधन संबंधी सभी कदम एसआईटी से सलाह-मशविरा कर उठा रही है।
 
जेटली ने कहा कि सरकार की ओर से सबसे पहले एचएसबीसी बैंक के 600 खाताधारकों के मामले में कार्रवाई हुई। इनकी जांच से करीब 8,000 करोड़ रुपए का पता चला। इस मामले में 200 से अधिक मुकदमे दर्ज किए गए हैं।
 
पत्रकारों के अंतरराष्ट्रीय संगठन 'इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ जर्नलिस्ट्स' के जरिए मिली जानकारी और पनामा पेपर्स लीक के मामले में भी कड़ी कार्रवाई चल रही है। इसमें जो भी संलिप्त होगा, उसे छोड़ा नहीं जाएगा। हालांकि ये तीनों मामले हमारे पास अपने आप आ गए। इसके अलावा राज्य सरकार ने कालाधन जाहिर करने के कदमों के जरिए 4,500 करोड़ रुपए जमा किए है।
 
उन्होंने कहा कि विदेशों में कालेधन पर नियंत्रण के लिए दुनिया की अर्थव्यवस्था के 85 प्रतिशत हिस्से पर नियंत्रण रखने वाले जी-20 देशों के बीच भी ऐसी प्रणाली विकसित करने का प्रयास चल रहा है जिससे जैसे ही ऐसा लेन-देन हो, उसकी जानकारी तुरंत (रियल टाइम) संबंधित देश को मिल जाए। भारत ने अमेरिका की ओर से तैयार किए गए एक ऐसे ही समझौते पर हस्ताक्षर भी किया है। सरकार देश में भी कालेधन के पैदा होने को रोकने के लिए कई कदम उठा रही है।
 
उन्होंने कहा कि सरकार बदला लेने अथवा किसी को भयभीत करने के लिए कदम नहीं उठा रही बल्कि देश के करदाताओं को अपनी गलती सुधारने का मौका दे रही है तथा वर्तमान सरकार पुरानी आय जाहिर करने वालों को नियमित करदाताओं से अधिक सुविधाएं नहीं दे सकती, जैसा कि 1997 में तत्कालीन सरकार ने किया था। (वार्ता) 

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