जेटली ने रविवार को एक लेख में कहा कि अब तक कुल 2,579 करोड़ वित्तीय लेन-देन का प्रमाणीकरण आधार के माध्यम से हुआ। पिछले 28 माह के दौरान करीब 122 करोड़ आधार कार्ड जारी किए गए हैं तथा 18 वर्ष के 99 प्रतिशत वयस्कों को आधार के दायरे में लाया गया है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों ने कई नकद हस्तांतरण योजनाओं को आधार से जोड़ा है। करीब 22.80 करोड़ 'पहल' और 'उज्ज्वला' लाभार्थियों को खाना पकाने की गैस के सब्सिडी का भुगतान आधार से जुड़े खातों में किया गया है। इसके साथ ही 58.24 करोड़ राशनकार्ड को इससे जोड़ा गया है। इसी तरह 18.33 करोड़ मनरेगा कार्डधारकों का भुगतान उनके बैंक खातों में किया गया है। आयकर विभाग ने 21 करोड़ पैनकार्डधारकों को आधार से जोड़ा है।
जेटली ने कहा कि सरकार का अनुमान है कि हाल के कुछ वर्षों में आधार के उपयोग से 90,000 करोड़ रुपए की बचत हुई है। इसके कारण बहुत से फर्जी लाभार्थियों को बाहर किया गया है। विश्व बैंक के एक आकलन के अनुसार आधार कार्ड के उपयोग से भारत सालाना 77,000 करोड़ रुपए बचा सकता है।
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के दौरान 16 मार्च 2016 को आधार से संबंधित विधेयक को संसद में पारित किया गया था। वित्तमंत्री ने कहा कि संप्रग सरकार के दौरान आधार को लेकर विरोधाभास और अधूरे मन से प्रयास किए गए। कांग्रेस के अधिवक्ताओं ने न्यायालयों में आधार मामले को चुनौती देते कहा कि भाजपा उस समय विपक्ष में थी और आधार को लेकर उसमें कुछ आपत्ति थी।
मोदी सरकार के सत्ता में आने के फौरन बाद आधार के अगुआ नंदन नीलेकणी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समक्ष इस संबंध में अपनी प्रस्तुति दी। इसके बाद मोदी ने संबद्ध पक्षों के साथ चर्चा की और इस पर आगे बढ़ने का फैसला किया। जेटली ने आधार की सफलता के लिए विशेष रूप से नंदन नीलेकणी और अजय भूषण पांडे के योगदान की सराहना की।