एक टेलीविजन चैनल के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जेटली ने मंगलवार को कहा कि यह ऋण 2008 से 2010 के बीच का है। बैंकों की गैर निष्पादित राशि (एनपीए) की समस्या बहुत पुरानी है। उन्होंने कहा कि पाप कोई और करके गया जिसके हल करने की जिम्मेदारी मौजूदा सरकार पर आ गई है। गौरतलब है कि किंगफिशर मालिक विजय माल्या पर बैँकों की मोटी रकम और उनके विदेश भाग जाने को लेकर मोदी सरकार निशाने पर रही है।
एनपीए की समस्या से निपटने के लिए समाधान का जिक्र करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि इससे केन्द्र सरकार के दिवालिया कानून से ही निपटा जा सकता है। कानून के तहत कर्ज नहीं लौटाने वालों की सूची बनाई जा रही है और उन उद्योगों को दिवालिया घोषित कर उनसे ऋण वापसी दूसरे तरीके से की जाएगी। किसानों की कर्ज माफी से इसकी तुलना करना कतई तर्कसंगत नहीं है। ये दोनों मामले बिलकुल भिन्न हैं।