जोधपुर की अदालत ने जिस समय स्वयंभू धर्मगुरु आसाराम को उम्रकैद की सजा सुनाई, वह फूट-फूटकर रोने लगा। शुरुआती जानकारी में यह भी कहा जा रहा है कि 77 वर्षीय आसाराम को अपना शेष जीवन सलाखों के पीछे ही गुजारना पड़ेगा।
टीवी चैनलों की रिपोर्ट के मुताबिक संत से सलाखों तक का सफर तय करने वाले आसाराम ने जज मधुसूदन शर्मा का फैसला सुनकर अपना माथा पकड़ लिया और फूट-फूटकर रोने लगे। उन्होंने वकीलों से भी कहा कि कुछ करो। हालांकि यह फैसला निचली अदालत का है। अत: आसाराम राजस्थान हाई कोर्ट में इस फैसले को चुनौती दे सकता है। उसकी प्रवक्ता नीलम दुबे ने इस बात की पुष्टि भी की है कि हाईकोर्ट में फैसले को चुनौती दी जाएगी।
अदालत की कार्यवाही शुरू होने एवं सभी आरोपियों के आ जाने के बाद न्यायाधीश ने आसाराम को बुलाया। जज को बताया गया कि आसाराम पूजा कर रहा है। फिर वह 15 मिनट बाद जज के सामने पहुंचा। आसाराम के वकील ने जज से कहा कि आसाराम कुछ कहना चाहता है। इस पर जज ने कहा कि केस की सुनवाई हो चुकी है अब निर्णय का समय है। इसके बाद जर्ज ने अपना दो पेज का टाइप किया फैसला सुना दिया।