जयपुर/ नई दिल्ली। राजस्थान (Rajasthan) में जारी राजनीतिक संकट के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को एक पत्र लिखा।
पत्र में उन्होंने आरोप लगाया है कि राजस्थान की निर्वाचित सरकार को गिराने का प्रयास हो रहा है और इस षड्यंत्र में एक केंद्रीय मंत्री भी शामिल हैं।
पत्र में उन्होंने लिखा है कि कोविड-19 महामारी के इस दौर में जीवन रक्षा ही हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। ऐसे में राजस्थान में चुनी हुई सरकार को गिराने का कुप्रयास किया जा रहा है। इस कृत्य में केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्रसिंह शेखावत, भाजपा के अन्य नेता एवं हमारी पार्टी के कुछ अतिमहत्वाकांक्षी नेता भी शामिल हैं।
स्पीकर की याचिका पर कल सुनवाई : सुप्रीम कोर्ट राजस्थान के बर्खास्त उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित कांग्रेस के 19 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्रवाई 24 जुलाई तक रोकने के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी की याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करेगा।
शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर उपलब्ध 23 जुलाई की कार्यसूची के अनुसार न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति कृष्णमुरारी की पीठ इस याचिका पर सुनवाई करेगी।
इससे पहले राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट समेत कांग्रेस के 19 बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्रवाई 24 जुलाई तक टालने के उच्च न्यायालय के निर्देश के खिलाफ बुधवार को उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की।
जोशी ने अपनी याचिका में कहा कि न्यायपालिका से कभी भी यह अपेक्षा नहीं की गई थी कि वह ऐसे मामलों में हस्तक्षेप करेगी, जिससे संवैधानिक गतिरोध पैदा हो।
विधानसभा अध्यक्ष ने उच्च न्यायालय के 21 जून के आदेश पर अंतरिम रोक लगाने का अनुरोध करते हुए कहा है कि यह सुनिश्चित करना शीर्ष अदालत का कर्तव्य है कि संवैधानिक प्राधिकारी अपनी-अपनी सीमाओं में रहते हुए अपने अधिकारों का इस्तेमाल करें और संविधान में प्रदत्त ‘लक्ष्मणरेखा’ का पालन करें।
उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा था कि वह पायलट एवं 18 अन्य विधायकों की याचिका पर 24 जुलाई को उचित आदेश सुनाएगा। इस याचिका में विधानसभा अध्यक्ष द्वारा विधायकों को भेजे गए अयोग्य ठहराए जाने संबंधी नोटिस को चुनौती दी गई है। अदालत ने अध्यक्ष से अयोग्यता की कार्रवाई 24 जुलाई तक टालने को कहा था।
विधानसभा अध्यक्ष ने वकील सुनील फर्नांडिस के जरिए दायर याचिका में कहा है कि अयोग्य ठहराए जाने की प्रक्रिया विधानसभा की कार्यवाही का हिस्सा है और इसलिए अदालत शुक्रवार तक इसे टालने की बात कहकर इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती।
बाद में एक अन्य मामले में प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष की याचिका जैसी याचिकाओं का तत्काल उल्लेख करने और उन्हें सूचीबद्ध करने के लिए शीर्ष अदालत में एक तंत्र होने का मामला उठाया।
प्रधान न्यायाधीश ने सिब्बल से कहा कि वे याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने का मामला शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री के समक्ष उठाएं।
विधानसभा अध्यक्ष के वकील इससे पहले दो बार इन बागी विधायकों को जारी कारण बताओ नोटिस का जवाब देने की समय सीमा बढ़ाने संबंधी उच्च न्यायालय के अनुरोध पर राजी हो गए थे।
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने पार्टी व्हिप की अवज्ञा करने को लेकर विधायकों को राजस्थान विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष से शिकायत कर रखी है। इसी शिकायत पर अध्यक्ष ने बागी विधायकों को नोटिस जारी किए थे। हालांकि पायलट खेमे की दलील है कि पार्टी का व्हिप तभी लागू होता है जब विधानसभा का सत्र चल रहा हो।
कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष को दी गई अपनी शिकायत में पायलट और अन्य असंतुष्ट विधायकों के खिलाफ संविधान की 10वीं अनुसूची के पैराग्राफ 2(1) (ए) के तहत कार्रवाई करने की मांग की है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत करने के बाद पायलट को उप मुख्यमंत्री पद और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से बर्खास्त किया जा चुका है। (भाषा)