दरअसल, आशुतोष एक संदीप कुमार का बचाव करते हुए एक महिला के यौन शोषण से जुड़े मामले को यह कहकर हल्का करने की कोशिश की थी कि राजी-मर्जी के सौदे में किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इसके पक्ष में उन्होंने संदीप कुमार की तुलना महात्मा गांधी, नेहरू-एडविना और अटलबिहारी वाजपेयी से भी की थी।
हालांकि महिला द्वारा एफआईआर लिखाने के बाद आशुतोष बैकफुट पर आ गए थे। इतना ही नहीं, उनकी पार्टी के नेताओं ने ही उनकी बात से किनारा कर लिया था। बाद में आशुतोष यह भी ट्वीट किया कि गांधी से मुझे सच कहने का साहस मिलता है। मैं एक बार फिर उनकी आत्मकथा 'सत्य के साथ मेरे प्रयोग' पढ़ रहा हूं।
राष्ट्रीय महिला ने गांधी, नेहरू और वाजपेयी जैसे राष्ट्रीय नेताओं का संदर्भ देने के लिए भी उन्हें आड़े हाथों लिया, वहीं उनके ब्लॉग में लिखी गई बातों को महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध भी माना है। हालांकि यह बड़ा सवाल है कि आशुतोष नोटिस को सिर्फ कॉलम से जोड़कर क्या साबित करना चाहते हैं। इसमें तो सिर्फ उनकी खिसियाहट ही नजर आती है। (एजेंसियां)