राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मामले में की सुनवाई टालने की मांग कर वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल बुरी तरह फंस गए हैं। उन्होंने शीर्ष अदालत से मांग की थी कि इस मामले की सुनवाई 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद होना चाहिए। इसके बाद तो राजनीतिक भूचाल ही आ गया। हालांकि बाद में सिब्बल ने यह भी कहा कि वे सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील की हैसियत से कोर्ट में पेश नही हुए थे।
सिब्बल का यह बयान सामने आने के बाद भाजपा ने इस मुद्दे को हाथोंहाथ लपक लिया और गुजरात में इसे चुनावी मुद्दा भी बना दिया। इसके बाद कांग्रेस बैकफुट पर आ गई और उसे यह कहना पड़ा कि वे कांग्रेस नेता की हैसियत से कोर्ट में पेश नहीं हुए। बाद में सिब्बल को भी कहना पड़ा कि अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि मैंने सुन्नी वक्फ बोर्ड का प्रतिनिधित्व किया, जबकि मैं कभी सुन्नी वक्फ बोर्ड का वकील नहीं रहा।
अब बड़ा सवाल यह उठता है कि जब सिब्बल वक्फ बोर्ड के वकील नहीं रहे तो फिर अयोध्या जैसे अति संवेदनशील मामले में किस हैसियत से यह मांग करने पहुंच गए कि इस मामले की सुनवाई लोकसभा चुनाव के बाद हो। दूसरी ओर भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कोर्ट के दस्तावेज पेश कर यह सिद्ध करने की कोशिश की है कि सिब्बल सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील की हैसियत से ही पेश हुए।
भाटिया ने ट्वीट में एक दस्तावेज भी संलग्न किया है, जिसके माध्यम से उन्होंने सिद्ध किया है कि सिब्बल सुन्नी बोर्ड के ही वकील हैं। इसमें उन्होंने अपील नंबर (सिविल अपील नंबर 004192/2011) का उल्लेख किया है।
यदि सिब्बल की बात मान भी ली जाए कि वे सुन्नी बोर्ड के वकील नहीं हैं तो फिर सवाल यह भी उठता है कि आखिर वे किस हैसियत से अदालत में पेश हुए थे। साथ ही उन्हें कैसे मालूम की इस मामले में अदालत का फैसला क्या होगा और इसका राजनीतिक फायदा उठा सकती है। इससे साफ जाहिर है कि वे इस मामले का राजनीतिक फायदा ही उठाना चाहते थे। इस पूरे मामले से न सिर्फ सिब्बल बल्कि कांग्रेस की नीयत पर भी सवाल उठता है। हालांकि अब यह दांव कांग्रेस और सिब्बल दोनों के लिए ही उलटा पड़ गया है।
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने भी इस मामले में कहा था कि वे अदालत में वकील के रूप में पेश हुए थे न कि कांग्रेस नेता के रूप में। कोई भी वकील अपने पक्षकार का मुकदमा लड़ने के लिए स्वतंत्र है। इस बात के पक्ष में कांग्रेस ने अरुण जेटली का भी जिक्र किया था कि उन्होंने भोपाल गैस त्रासदी मामले में यूनियन कार्बाइड के पक्ष में वकालत की थी।
क्या कहा मुस्लिम पक्ष ने : ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के जफरयाब जिलानी ने बुधवार शाम एक बयान में कहा कि सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान मुस्लिम पक्षकारों का प्रतिनिधत्व कर रहे वकील ने अपने पक्षकार के कहने पर ही मुकदमे को टालने की अपील की थी। बोर्ड के इस बयान के बाद अयोध्या मामले के याचिकाकर्ता हाजी महबूब ने कहा कि अगर जिलानी यह कहते हैं कि सिब्बल ने मंगलवार को कोर्ट में जो कहा वह सही है तो मैं भी इससे सहमत हूं।