Voter ID कार्ड से आधार नंबर को जोड़ने वाला 'चुनाव अधिनियम संशोधन विधेयक' लोकसभा से पारित

Webdunia
सोमवार, 20 दिसंबर 2021 (18:00 IST)
नई दिल्ली। विपक्षी सदस्यों के भारी विरोध के बीच लोकसभा ने सोमवार को निर्वाचन विधि (संशोधन) विधेयक, 2021 को मंजूरी प्रदान कर दी। इसमें मतदाता सूची में दोहराव और फर्जी मतदान रोकने के लिए मतदाता पहचान कार्ड और सूची को आधार कार्ड से जोड़ने का प्रस्ताव किया गया है।
 
निचले सदन में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, एआईएमआईएम, आरएसपी, बसपा जैसे दलों ने इस विधेयक को पेश किए जाने का विरोध किया। कांग्रेस ने विधेयक को विचार के लिए संसद की स्थाई समिति को भेजने की मांग की। विपक्षी दलों ने इसे सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ तथा संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों एवं निजता के अधिकार का उल्लंघन करने वाला बताया।
 
इस विधेयक के माध्यम से जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में संशोधन किए जाने की बात कही गई है।
 
विधेयक पर संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि सदस्यों ने इसका विरोध करना के लिए जो तर्क दिये हैं, वे उच्चतम न्यायालय के फैसले को गलत तरीके से पेश करने का प्रयास है। यह विधेयक शीर्ष अदालत के फैसले के अनुरूप है।
 
उन्होंने कहा कि सरकार ने जन प्रतिनिधित्व कानून में संशोधन का प्रस्ताव इसलिये किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई व्यक्ति एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्र में पंजीकरण न करा सके तथा फर्जी तरीके से मतदान को रोका जा सके।
 
रिजिजू ने कहा कि अब तक की व्यवस्था में 18 साल पार होने के बाद भी काफी लोग मतदान करने से वंचित रह जाते हैं क्योंकि 1 जनवरी को पंजीकरण संबंधी एक ही ‘कटऑफ’ तारीख होती है और इसमें ही नए मदाताओं का रजिस्ट्रेशन होता है।
 
उन्होंने कहा कि अब पंजीकरण के संबंध में चार तारीखें होंगी जो 1 जनवरी, 1 अप्रैल, 1 जुलाई और 1 अक्टूबर होगी। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि निर्वाचन सूची अच्छी हो। ऐसा सभी चाहते हैं। इसलिए आधार कार्ड को निर्वाचन सूची के साथ जोड़ रहे हैं।’’
 
मंत्री के जवाब के बाद सदन ने निर्वाचन विधि (संशोधन) विधेयक, 2021 को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी । इस दौरान विपक्षी सदस्य लखीमपुर खीरी हिंसा मामले को लेकर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त करने की मांग सहित कुछ अन्य विषयों पर सदन में शोर-शराबा कर रहे थे।
 
विधि मंत्री ने कहा कि कार्मिक, विधि एवं न्याय संबंधी स्थायी समिति ने ही सुझाव दिया था कि मतदाता सूची की सुचिता को बनाये रखना जरूरी है, ऐसे में इन्हें आधार से जोड़ने की बात कही गई। उन्होंने कहा कि समिति ने इस बारे में की गई कार्रवाई के विषय में भी बताने को कहा है जिस समिति में विभिन्न दलों के सदस्य शामिल होते हैं।
 
इससे पहले, विधेयक पेश किये जाने का विरोध करते हुए लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि यह पुत्तुस्वामी बनाम भारत सरकार मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ है।
 
कांग्रेस नेता ने कहा कि हमारे यहां डाटा सुरक्षा कानून नहीं है और अतीत में डाटा के दुपयोग किये जाने के मामले भी सामने आए हैं। चौधरी ने कहा कि ऐसे में इस विधेयक को वापस लिया जाना चाहिए और इसे विचारार्थ संसद की स्थायी समिति को भेजा जाना चाहिए।
 
विधेयक का समर्थन करते हुए भाजपा के निशिकांत दुबे ने कहा कि आज अगर आधार निर्वाचन सूची के साथ जोड़ा जा रहा है तो कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों को चिंता हो रही है। उन्होंने कहा कि इस प्रावधान के बाद न तो बांग्लादेशी को मतदाता बना सकते हैं न ही नेपाली को बना सकते हैं।
 
दुबे ने आरोप लगाया कि वोट-बैंक की राजनीति के कारण कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस इस विधेयक का विरोध कर रही है। तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने आरोप लगाया कि सरकार और मंत्री लोकतंत्र और संसदीय नियमों के खिलाफ काम कर रहे हैं। वहीं शिवसेना के विनायक राउत ने कहा कि इसको जल्दबाजी में पारित करना उचित नहीं है और इस पर बहस होनी चाहिए।
 
तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने कहा कि इस विधेयक में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन किया गया है और यह मौलिक अधिकारों के खिलाफ है। इसलिये हम इसे पेश किये जाने का विरोध करते हैं। 
 
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले ने कहा कि सरकार इस विधेयक को वापस ले और समग्र विधेयक लाए। महिला आरक्षण का विधेयक भी इसके साथ लेकर आए जिसके बाद सब इसका समर्थन करेंगे।
 
वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के एल श्रीकृष्णा ने भी कहा कि इस विषय पर सरकार समग्र विधेयक लेकर आए। बसपा के रितेश पांडेय ने कहा कि संसदीय प्रक्रिया को दरकिनार किया जा रहा है और इस विधेयक को वापस लेना चाहिए।
 
बीजद के अनुभव मोहंती ने कहा कि पूरी चर्चा के बाद विधेयक को पारित किया जाना चाहिए था। कांग्रेस के मनीष तीवारी ने कहा कि इस प्रकार का विधेयक लाना सरकारी की विधायी क्षमता से परे है। इसके अलावा आधार कानून में भी कहा गया है कि इस प्रकार से आधार को नहीं जोड़ा जा सकता है।
 
कांग्रेस के शशि थरूर ने कहा कि आधार को केवल आवास के प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जा सकता है, नागरिकता के प्रमाण के रूप में नहीं । ऐसे में इसे मतदाता सूची से जोड़ना गलत है। एआईएमआईएम के असादुद्दीन औवैसी ने कहा कि यह संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों एवं निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है। यह विधेयक गुप्त मतदान के प्रावधान के भी खिलाफ है। इसलिये हम इसे पेश किये जाने का विरोध करते हैं ।
 
आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को जीवन, निजता आदि के अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता हैं और पुत्तुस्वामी बनाम भारत सरकार मामले में उच्चतम न्यायालय ने बुनियादी अधिकारों पर जोर दिया था। उन्होंने कहा कि इस मामले में मतदाता सूची को आधार से जोड़ने से संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन होता है।
 
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले बुधवार को चुनाव सुधारों से जुड़े इस विधेयक के मसौदे को अपनी मंजूरी दी थी। इस विधेयक के मसौदे में कहा गया है कि मतदाता सूची में दोहराव और फर्जी मतदान रोकने के लिए मतदाता कार्ड और सूची को आधार कार्ड से जोड़ा जाएगा।

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