देश में करेंसी संकट के पीछे की वजह बताने वाला दावा ये कि देश में करेंसी संकट के पीछे 2000 की नोटबंदी का एक प्लान है। यह वह प्लान है जिसका असर देश के कोने-कोने में दिखाई पड़ रहा है। दावा किया जा रहा है कि सरकार बाजार से 2000 के नोट हटाना चाहती है और धीरे-धीरे हटा रही है इसलिए ही देश में ये करेंसी संकट पैदा हुआ है।
विदित हो कि इससे पहले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आंकड़े पेश करते हुए दावा किया है कि नोट तो पूरे हैं, लेकिन दो हजार के नोट गायब हैं। उन्होंने करेंसी संकट को साजिश करार दिया है। वहीं बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा है, 'मेरे हिसाब से 500 और 200 के छोटे नोट हों। सरकार के इस कदम का स्वागत है कि दो हजार के नोट कम प्रचलन में आएं। आपको भी पता है कि दो हजार के नोट कौन इस्तेमाल करता है।’
वित्त मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, 19 शहरों में पहुंची करेंसी सप्लाई के आंकड़े में चौंकाने वाली बात सामने आई। देश के 19 शहरों में जहां रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया है वहां नोटबंदी के बाद चार महीनों में जितनी करेंसी सप्लाई की गई उससे बेहद कम करेंसी अगले एक साल में सप्लाई हुई।
इसलिए सवाल किया जा रहा है कि दो हजार रुपए के नोट बाजार में मौजूद हैं तो वो जा कहां रहे हैं? इस पर देश के वित्तीय मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ किया कि बाजार में दो हजार के जितने नोट होने चाहिए उतने मौजूद हैं, इसलिए वो आगे बड़े नोट की सप्लाई नहीं कर रहे हैं। लेकिन सवाल ये है कि अगर दो हजार रुपए के पर्याप्त नोट बाजार में मौजूद हैं तो वे जा कहां रहे हैं?
वित्तीय मामलों के सचिव से सवाल हुआ कि कहीं चुनाव की वजह से नोटों की जमाखोरी तो नहीं हो रही? इसके जवाब में उन्होंने बताया कि चुनाव केवल कर्नाटक में है लेकिन बाकी के दो-तीन राज्यों में भी ये समस्या देखी गई है। हो सकता है कि चुनाव में कई बार कैश की मांग ज्यादा होती है, लेकिन अन्य राज्यों में भी कैश की समस्या देखी गई है तो ये मैं नहीं कह सकता कि एक राज्य में चुनाव की वजह से ये समस्या है। अगर ऐसा होता तो बाकी राज्यों में कैश की समस्या नहीं होती।' उन्होंने कहा कि मुमकिन है कि लोगों ने अपने पास दो हजार के नोट रख लिए हों।