दो स्‍टेट और 2 मुख्‍यमंत्री, क्‍यों कह रहे हैं बच्‍चे पैदा करो, क्‍या ये सामाजिक मुद्दा है या कोई पॉलिटिकल गेम?

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

मंगलवार, 22 अक्टूबर 2024 (16:06 IST)
छोटा परिवार सुखी परिवार। दो या तीन बच्चे, लगते हैं घर में अच्छे। हम दो हमारे दो। हिन्दू हो या मुसलमान, एक परिवार एक संतान। कम बच्चे छोटा परिवार, यही हैं प्रगति का आधार। किसी जमाने में इस तरह के सरकारी जुमले इसलिए दीवारों पर लिखे जाते थे ताकि लोगों को जनसंख्‍या को लेकर जागरूक किया जा सके, लेकिन अब देश के दो स्‍टेट के दो मुख्‍यमंत्री की इस बारे में राय बिल्‍कुल जुदा है।

आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू और तमिलनाडु के सीएम एम के स्टालिन के बयानों से न सिर्फ राजनीति के गलियारों में बवाल मचा है, बल्‍कि एक सामाजिक बहस भी छिड गई है। दो स्‍टेट और दोनों स्‍टेट के मुख्‍यमंत्रियों ने लोगों से खासतौर से महिलाओं से खूब बच्‍चे पैदा करने की बात कही है।

सोशल मीडिया से लेकर न्‍यूज चैनल तक हर जगह इन्‍हीं दोनों के बयानों को लेकर चर्चा हो रही है। समझने की कोशिश करते हैं कि क्‍या इन बयानों के पीछे कोई सामाजिक चिंता है या यह कोई पॉलिटिकल गेम है। पहले जानते हैं इन दोनों राज्‍यों के मुख्‍यमंत्रियों ने ठीक ठीक क्‍या कहा है।

क्‍या कहा चंद्रबाबू नायडू ने : एन चंद्रबाबू नायडू आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। उन्‍होंने महिलाओं से अपील की है कि वे ज्यादा बच्चे पैदा करें। नायडू ने कहा कि अगर महिलाओं ने ऐसा नहीं किया तो सिर्फ बूढ़े ही बचेंगे। उन्‍होंने कहा कि जनसंख्या को स्थिर करने के लिए कम से कम दो बच्चे पैदा करने होंगे।

स्‍टालिन बोले 16 बच्‍चे पैदा करें : तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने कहा— लोकसभा परिसीमन प्रक्रिया से कई दंपतियों के ‘16 (तरह की संपत्ति) बच्चों' की तमिल कहावत की ओर वापस लौटने की उम्मीदें बढ़ सकती हैं, लेकिन नतीजे जो भी हों, लोगों को अपने बच्चों को तमिल नाम देना चाहिए। उन्‍होंने कहा—  अतीत में, बुजुर्ग नवविवाहित जोड़ों को 16 बच्चों का नहीं बल्कि 16 तरह की संपत्ति अर्जित करने और खुशहाल जीवन जीने का आशीर्वाद देते थे, जिसमें प्रसिद्धि, शिक्षा, वंश, धन आदि शामिल हैं। उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे लोग खुशहाली के लिए परिवार छोटा रखने के महत्व को समझने लगे हैं। उन्होंने कहा कि समय आ गया है, 16 बच्चे पैदा किए जाएं।

क्‍या है पॉलिटिकल मायने : दरअसल, अगर भारत में 2026 में निर्धारित परिसीमन किया जाता है, तो 2029 में होने वाले लोकसभा चुनावों में उत्तरी राज्यों को 32 सीटों का फायदा होगा, जबकि दक्षिणी राज्यों को 24 सीटों का नुकसान होगा। थिंक टैंक कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस द्वारा 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले प्रकाशित ‘भारत के प्रतिनिधित्व का उभरता संकट’ शीर्षक वाले अध्ययन में कहा गया था कि इस प्रक्रिया में तमिलनाडु और केरल राज्य मिलकर 16 सीटें खो देंगे। ऐसे में बाकी राजनीतिक पार्टियां इन बयानों को राजनीतिक फायदे के तहत ही देख रही है।

सीएम के नजरिये पर सवाल : जब अमरावती में चंद्रबाबू नायडू ने गिरती जन्‍मदर को लेकर महिलाओं से जनसंख्या बढाने के लिए कम से कम दो बच्चे पैदा करने की बात कही तो कांग्रेस की आंध्र प्रदेश इकाई ने इसका स्वागत किया, जबकि सत्तारूढ़ युवजन श्रमिक रायतु कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) ने इस मामले पर मुख्यमंत्री के नजरिये पर सवाल उठाया है। नायडू ने कहा कि दक्षिण भारत में आबादी बूढ़ी हो रही है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक महिला को अपने जीवनकाल में दो से अधिक बच्चों को जन्म देना चाहिए। चेन्नई में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने भी जनसंख्या के मुद्दे को उठाया और इसे परिसीमन कवायद से जोड़ा।

क्‍या है जनसंख्‍या का ग्राफ : आंध्रप्रदेश की जन्म दर प्रति महिला 2.1 जीवित जन्मों के प्रतिस्थापन स्तर से नीचे है। मुख्यमंत्री ने अमरावती में हाल में एक सार्वजनिक बैठक के दौरान कहा कि हमें अपनी जनसंख्या को प्रबंधित करने की आवश्यकता है। 2047 तक हमारे पास जनसांख्यिकीय लाभांश होगा। अगर अधिक युवा होंगे। 2047 के बाद अधिक बूढ़े लोग होंगे। यदि दो से कम बच्चे प्रति महिला जन्म लेते हैं, तो जनसंख्या कम हो जाएगी। यदि आप प्रत्येक महिला दो से अधिक बच्चों को जन्म देती हैं, तो जनसंख्या बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि राज्य की जन्म दर गिरकर 1.6 हो गई है। उन्होंने आशंका जताई कि वर्तमान स्थिति जारी रहने से जन्म दर और गिरकर एक या उससे भी कम हो सकती है, जहां समाज में केवल बूढ़े लोग ही दिखाई देंगे।

इसी में राष्‍ट्र की भलाई है : नायडू के इस बयान को थोडे विस्‍तार से समझने की कोशिश करते हैं। नायडू ने कहा कि मैं अधिक बच्चे पैदा करने का आह्वान न सिर्फ आपके लिए कर रहा हूं, बल्कि राष्ट्र के लिए, व्यापक भलाई के लिए कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि हम कोई भी काम करके पैसा कमा सकते हैं, लेकिन हम तभी काम करेंगे, जब हमारे बच्चे होंगे या जनसंख्या बढ़ेगी। यूरोप, जापान और अन्य क्षेत्रों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि ये देश बुजुर्ग होती आबादी की समस्या से जूझ रहे हैं, जहां वृद्धों की संख्या बढ़ रही है और युवाओं की संख्या घट रही है। नायडू ने तर्क दिया कि दक्षिण भारत भी ऐसी ही स्थिति का सामना कर रहा है।

तो हमारी सीटें हमारे पास होंगी : तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने कहा कि लोकसभा परिसीमन प्रक्रिया से कई दंपतियों के 16 (तरह की संपत्ति) बच्चों की तमिल कहावत की ओर वापस लौटने की उम्मीदें बढ़ सकती हैं, लेकिन नतीजे जो भी हों, लोगों को अपने बच्चों को तमिल नाम देना चाहिए।

ठीक इसी दौरान आंध्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एपीसीसी) के उपाध्यक्ष कोलानुकोंडा शिवाजी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने दक्षिण भारत के हितों को ध्यान में रखते हुए यह बात कही है। शिवाजी ने कहा कि परिसीमन के तहत हमारे क्षेत्र (दक्षिण भारत) की संसद सीटें कम हो जाएंगी और वे उत्तरी राज्यों में जुड़ जाएंगी। इसलिए, इससे उबरने के लिए समय नहीं है। इसलिए, जब यहां की आबादी बढ़ेगी, तो हमारी सीटें हमारे पास होंगी।

खुशहाल परिवार नहीं, 16 बच्‍चे : एमके स्‍टालिन ने कहा कि लोग धीरे-धीरे खुशहाली के लिए परिवार छोटा रखने के महत्व को समझने लगे है। स्टालिन ने कहा कि उस आशीर्वाद का मतलब 16 बच्चे पैदा करना नहीं है, लेकिन अब ऐसी स्थिति पैदा हो गई है, जहां लोगों को लगता है कि अब उन्हें सचमुच 16 बच्चे पैदा करने चाहिए, न कि एक छोटा और खुशहाल परिवार रखना चाहिए।

क्‍या कहा जगन की पार्टी ने : इस मुद्दे पर वाईएसआरसीपी के वरिष्ठ नेता जे. प्रभाकर राव ने नायडू के दृष्टिकोण के प्रभाव पर सवाल उठाया, जिसमें उन्होंने लोगों से करीब 10 साल पहले कम बच्चे पैदा करने और अब अधिक बच्चे पैदा करने के लिए कहा। राव ने कहा नायडू बारे में क्या कहा जाए। उनका एक ही बेटा है और उनके बेटे (नारा लोकेश) का भी एक ही बेटा है। वह दूरदर्शी व्यक्ति हैं। वाईएसआरसीपी नेता ने कहा कि राज्य के लोगों ने नायडू की सलाह पर ध्यान देते हुए जन्म नियंत्रण का पालन नहीं किया। उन्होंने मुख्यमंत्री को सलाह दी कि वह अपनी तुलना किसी पूर्व चीनी नेता से न करें, जिनके अतीत में ऐसे आह्वान के सफल नतीजे मिले थे। कांग्रेस की प्रदेश इकाई ने जनसंख्या बढ़ाने के नायडू के आह्वान का स्वागत किया।
Edited by Navin Rangiyal

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