इंदौर नगर निगम की वर्दी पर क्यों मचा है बवाल? U टर्न की तैयारी में निगम

वृजेन्द्रसिंह झाला

गुरुवार, 16 मई 2024 (22:31 IST)
Controversy over the military uniform of the anti-encroachment squad of Indore Municipal Corporation  : भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर हाल ही सुर्खियों में आया इंदौर नगर निगम अब रिमूवल दस्ते को पहनाई गई वर्दी को लेकर चर्चा में है। दरअसल, यह वर्दी भारतीय सेना 'कॉम्बेट यूनिफॉर्म' से मिलती है। सेना इस तरह की वर्दी जंगलों और पहाड़ों पर ऑपरेशन के दौरान पहनती है। निगम का अपने कर्मचारियों का क्या मकसद है, फिलहाल पूरी तरह स्पष्ट नहीं है, लेकिन महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने इतना जरूर कहा है कि एकरूपता और अनुशासन के लिए रिमूवल टीम को खास तरीके की वर्दी दी गई है। 
क्या बोले महापौर : हालांकि नगर निगम के महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने एक बयान में कहा है कि निगम द्वारा एकरूपता, अनुशासन के लिए नगर निगम की रिमूवल टीम को दी गई विशेष प्रकार की वर्दी पहनने से यदि पूर्व सैनिकों की भावना आहत होती है तो वर्दी में जो भी आवश्यक चेंजेस की आवश्यकता होगी वे किए जाएंगे। 
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सेना की छवि धूमिल होती है : कर्नल आईके जैन (सेवानिवृत्त) नगर निगम के इस फैसले पर असंतोष जाहिर करते हुए कहते हैं कि कोई भी सेना की यूनिफॉर्म या उससे मिलती-जुलती यूनिफॉर्म नहीं पहन सकता है। इस तरह के आदेश भी हैं। निगमकर्मी कैमोफ्लाज इस यूनिफॉर्म में गुटखा-खैनी खाते हुए नजर आएंगे, उनकी फिजिक भी यूनिफॉर्म के अनुकूल नहीं होगी। ऐसे में इस तरह की पोशाक पहनने का हक किसी को भी नहीं है। इससे सेना की छवि धूमिल होती है। इसे किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता। यदि आपको अपने कर्मचारियों को यूनिफॉर्म ही पहनानी है तो आप किसी और रंग या डिजाइन की पहना सकते हैं।   
 
जनता को पैदा होगा भ्रम : इंदौर के ही एक युवा अजय सिंह ने कहते हैं निगम को रिमूवल दस्ते के लिए सेना कॉम्बेट यूनिफॉर्म जैसी यूनिफॉर्म की ही जरूरत क्यों पड़ी। यदि अनुशासन और एकरूपता लानी है तो यह यूनिफॉर्म किसी और रंग की भी तो हो सकती थी। इससे भ्रम पैदा होगा। आमतौर पर लोगों को इतनी समझ नहीं होती। कुछ लोग रिमूवल दस्ते के सदस्य को सैनिक समझ सकते हैं। इसे तत्काल बदला जाना चाहिए। एक निगमकर्मी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि इस यूनिफॉर्म में हम खुद को असहज महसूस करते हैं। हमारे ही कई साथी गुटखा खाते हैं, ऐसे में थूकते हुए उनके फोटो भी खींचे जा सकते हैं। इससे निगम की ही किरकिरी होगी। इस यूनिफॉर्म को लेकर इसलिए भी लोगों में असंतोष है क्योंकि निगम के रिमूवल दस्ते पर पहले भी लोगों से दुर्व्यवहार के आरोप लग चुके हैं। 
 
कमिश्नर बोले करवा रहे हैं रिडिजाइन : निगम कमिश्नर शिवम वर्मा ने भी वेबदुनिया से बातचीत में बताया कि यूनिफॉर्म सिर्फ कर्मचारियों में अनुशासन लाने के लिए उद्देश्य से पहनाई गई है। चर्चा के हमने तय किया है कि इस वर्दी को रिडिजाइन करवा रहे हैं। साथ इसके स्वरूप में भी बदलाव लाएंगे। 

क्या कहता है कानून : कुछ सालों पहले तक निजी सुरक्षा गार्ड सेना और पुलिस जैसी वर्दी पहना करते थे, लेकिन सेना की आपत्ति के बाद सरकार ने भी सख्त रुख अपनाते हुए इस पर कानून बना दिया था। प्राइवेट सुरक्षा अभिकरण अधिनियम (विनियमन) अधिनियम, 2005 के अनुसार यदि कोई प्राइवेट सुरक्षा गार्ड या पर्यवेक्षक सेना, वायुसेना, नौसेना या संघ के किसी अन्य सशस्त्र बल या पुलिस की वर्दी पहनेगा या ऐसी पोशाक पहनेगा जो उस वर्दी के समान हो या उस पर उस वर्दी के सुभिन्न (समान) चिह्न लगे हों, तो वह प्राइवेट सुरक्षा अभिकरण या स्वत्वधारी (मालिक), कारावास से जिसकी अवधि 1 वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से जो 5 हजार रुपए तक का हो सकेगा, अथवा दोनों से दंडनीय होगा।

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