अस्पतालों से अदालत का सवाल- नर्सों को 20 हजार रु वेतन क्यों नहीं देना चाहते?

गुरुवार, 19 जुलाई 2018 (07:47 IST)
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली के 350 से अधिक निजी अस्पतालों एवं नर्सिंग होमों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक समूह से पूछा कि वे अपने नर्सों को कितना भुगतान कर रहे हैं तथा वे उन्हें विशेषज्ञ पैनल की सिफारिश के हिसाब से 20,000 रुपए का न्यूनतम वेतन देने के विरुद्ध क्यों हैं?
 
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने संबंधित समूह डीएमए नर्सिंग होम एंड मेडिकल एस्टैब्लिशमेंट से यह भी स्पष्ट करने को कहा कि उसके हिसाब से ऐसे व्यक्तियों की न्यूनतम तनख्वाह क्या होनी चाहिए और क्यों? 
 
पीठ ने कहा, 'आप 20,000 रुपए के न्यूनतम पारिश्रमिक के विरुद्ध कैसे हो सकते हैं? आप उन्हें क्या भुगतान कर रहे हैं? आपके अनुसार न्यूनतम पारिश्रमिक क्या होना चाहिए और उसके पीछे का तुक क्या है?' 
 
इससे पहले डीएमए ने विशेषज्ञ पैनल की सिफारिश का पालन करने के दिल्ली सरकार के 25 जून के आदेश पर एतराज किया था। उच्चतम न्यायालय ने नर्सों की तनख्वाह और कार्यदशा पर गौर करने के लिए विशेषज्ञ पैनल के गठन का आदेश दिया था। अदालत इंडियन प्रोफेशनल नर्सेज एसोसिएशन की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है। (भाषा)

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