नई दिल्ली। सरकार के 500 व 1,000 रुपए के नोट बंद करने के फैसले के 10 दिन बाद शनिवार को कई बैंक शाखाओं के बाहर लाइनें कुछ छोटी नजर आईं लेकिन एटीएम पर नकदी समाप्त होने और लंबी प्रतीक्षा का दौर अभी भी जारी है।
बैंकों की सभी शाखाओं में शनिवार को केवल उनके अपने ग्राहकों के साथ ही लेनदेन किया जा रहा है। उनमें दूसरे बैंकों के ग्राहकों के 500 और 1,000 रुपए के नोट बदलने का काम नहीं हो रहा है, हालांकि बुजुर्गों के लिए ऐसी कोई रोकटोक नहीं है और वे किसी भी बैंक में अपने नोट बदला सकेंगे। पुराने नोट के बदले नए नोट लेने की सीमा को घटाकर 2,000 रुपए किया गया है ताकि नकदी की मांग पर बढ़े दबाव को कुछ कम किया जा सके।
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि बैंक शाखाओं पर भीड़ काफी कम हुई है और किसी तरह की कोई घबराहट नहीं है। पंक्तियां छोटी हुई हैं और पूरे देश में यही स्थिति है। नोट बदलने के लिए बार-बार बैंकों में आने वाले लोगों की पहचान करने के लिए कई स्थानों पर बैंकों ने अंगुली पर जल्दी नहीं मिटने वाली स्याही लगाना शुरू किया है।
सरकार और रिजर्व बैंक पूरे देश में नए नोट की व्यवस्था को दुरुस्त करने में लगे हैं, ऐसे में छोटे व्यवसायी जैसे सब्जी, ढाबे वाले तथा छोटे किराना स्टोर चलाने वाले, जिनमें पूरा लेनदेन नकदी में होता है, काफी प्रभावित हुए हैं। लोगों को दूध, सब्जी, दवाइयां और दूसरे रोजमर्रा का सामान लेने में भी असुविधा हो रही है, क्योंकि छोटे नोटों की परेशानी है।
देशभर में अस्पतालों में मरीजों और उनके परिवार के सदस्यों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें दवाइयां, खाद्य पदार्थ और परिवहन साधनों में लेनदेन करने में समस्या आ रही है। ठेका और दिहाड़ी मजदूरों का काम भी ठप पड़ा है। सीमेंट, रेत और दूसरा सामान नहीं पहुंच पाने की वजह से निर्माण गतिविधियां रुकी पड़ी हैं।