Supreme Court news in hindi : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) के अधिकारियों को राजधानी के रिज क्षेत्र में सड़क चौड़ीकरण के लिए पेड़ काटने पर अवमानना का दोषी ठहराया और व्यापक वनरोपण का आदेश दिया। हालाँकि, अदालत ने पाया कि इसमें कोई दुर्भावनापूर्ण इरादा नहीं था।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने अवमानना याचिका पर फैसला सुनाया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि पेड़ काटने पर प्रतिबंध के आदेश का उल्लंघन किया गया और दिल्ली के उपराज्यपाल तथा आईएएस अधिकारी सुभाषीश पांडा द्वारा क्रमशः डीडीए के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के रूप में आदेशों का जानबूझकर पालन नहीं किया गया।
शीर्ष अदालत ने डीडीए को रिज क्षेत्र में रहने वाले उन धनी व्यक्तियों पर एकमुश्त शुल्क लगाने को भी कहा, जिन्हें सड़क चौड़ीकरण से लाभ मिला है। इसने व्यापक वनरोपण योजना की देखरेख के लिए तीन सदस्यीय एक समिति का गठन भी किया तथा उसे निर्देश दिया कि वह पहुंच मार्ग के दोनों ओर वृक्षों का घना आवरण सुनिश्चित करे।
शीर्ष अदालत ने 21 जनवरी को अपना आदेश सुरक्षित रखते हुए कहा था कि उसे याचिकाओं में कथित अवमानना की गंभीरता को देखना होगा। उसने पेड़ों की कटाई के लिए डीडीए के पूर्व उपाध्यक्ष सुभाषीश पांडा को अवमानना नोटिस जारी किया था और उपराज्यपाल एवं डीडीए अध्यक्ष वी के सक्सेना को निर्देश दिया था कि वे फरवरी 2024 में रिज क्षेत्र में लगभग 1,100 पेड़ों को कथित तौर पर अवैध रूप से गिराने के लिए दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का विवरण प्रस्तुत करते हुए व्यक्तिगत हलफनामा दायर करें। केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल आयुर्विज्ञान संस्थान (CAPFIMS) अस्पताल तक जाने वाली सड़क को चौड़ा करने के लिए पेड़ों को काटा गया था।
शीर्ष अदालत ने कहा कि पेड़ों की कटाई 16 फरवरी, 2024 को शुरू हुई थी और इससे पहले एक आवेदन दायर किया गया था, जिसे अंततः 4 मार्च के आदेश के जरिए खारिज कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने 4 मार्च को डीडीए को 1,051 पेड़ों को काटने की अनुमति देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि संबंधित आवेदन बहुत अस्पष्ट है।