रक्षामंत्री ने कहा कि हमारी कोशिश हिन्द महासागर में संसाधनों एवं प्रयासों का समन्वय करना है जिसमें भाग लेने वाले देशों के बीच रक्षा उद्योग एवं अन्य औद्योगिक सहयोग शामिल हैं। आईओआर के बहुत से देश वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बन रहे हैं और नई प्रौद्योगिकी का विकास कर रहे हैं जिसमें रक्षा शिपयार्ड के लिए डिजाइन और जहाज निर्माण शामिल हैं जिन्हें क्षेत्रीय सहयोग के प्रयासों के माध्यम से संयुक्त रूप से तैयार किया जा सकता है।
सिंह ने कहा कि भारतीय एयरोस्पेस एवं रक्षा उद्योग विदेशी कंपनियों के लिए एक आकर्षक एवं महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करते हैं। भारत विभिन्न प्रकार की मिसाइल प्रणाली, हल्के लड़ाकू विमान/ हेलीकॉप्टर, बहुद्देशीय हल्के परिवहन विमान, जंगी जहाज और गश्ती पोत, तोप प्रणाली, टैंक, रडार, सैन्य वाहन, इलेक्ट्रॉनिक युद्धक प्रणाली एवं अन्य हथियार प्रणाली आईओआर देशों को आपूर्ति कराने के लिए तैयार है। (भाषा)