नई दिल्ली। दिवाली के बाद की सुबह दिल्ली में हवा की गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी में दर्ज की गई। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए राहत की बाद यह रही कि अनुकूल मौसम संबंधी परिस्थितियों ने प्रदूषक तत्वों को तेजी से जमा होने से रोका और स्थिति पिछले वर्षों से अपेक्षाकृत बेहतर रही।
आतिशबाजी पर प्रतिबंध के बावजूद दिल्ली के कई हिस्सों में लोगों ने पटाखे चलाए, लेकिन पिछले दो वर्षों की तुलना में इसकी तीव्रता कम दिखाई दी। पंजाब और हरियाणा में सोमवार को खेतों में पराली जलाई गई, लेकिन हवा की गति के कारण धुंआ छंट गया।
राष्ट्रीय राजधानी का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) मंगलवार सुबह सात बजे 326 रहा। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) के पड़ोसी शहरों गाजियाबाद (285), नोएडा (320), ग्रेटर नोएडा (294), गुरुग्राम (315) और फरीदाबाद (310) में भी हवा की गुणवत्ता खराब से बहुत खराब श्रेणी में रही।
शून्य से 50 के बीच AQI को अच्छा, 51 और 100 के बीच संतोषजनक, 101 और 200 के बीच मध्यम, 201 से 300 के बीच खराब, 301 और 400 के बीच बहुत खराब तथा 401 और 500 के बीच एक्यूआई को गंभीर श्रेणी में माना जाता है।
मंगलवार सुबह अपेक्षाकृत बेहतर वायु गुणवत्ता का मतलब यह नहीं है कि यह अच्छी हवा है। राष्ट्रीय राजधानी के 35 निगरानी केंद्रों में से 30 में सुबह 7 बजे पीएम 2.5 का स्तर राष्ट्रीय मानक 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से पांच से छह गुना अधिक रहा।
पीएम 2.5 महीन कण होते हैं जो 2.5 माइक्रोन या उससे कम व्यास के होते हैं और श्वसननली के माध्यम से शरीर में गहराई तक जा सकते हैं तथा फेफड़ों तक पहुंच कर रक्तप्रवाह को प्रभावित कर सकते हैं।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में पिछले साल दिवाली पर 382, 2020 में 414, 2019 में 337, 2017 में 319 और 2016 में 431 एक्यूआई दर्ज किया गया था। इससे पहले दिल्ली में 2018 में दिवाली पर 281 का एक्यूआई दर्ज किया था।