नई दिल्ली। सामान्य रूप से प्रयोग में लाए जा रहे डिजिटल थर्मामीटर, रक्तचाप मापने की मशीन, नेब्युलाइजर और ग्लूकोमीटर को अब औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम के तहत औषधि के रूप में अधिसूचित किया गया है। इस कदम से सरकार को अब इनकी गुणवत्ता और प्रदर्शन को बनाए रखने में सहायता मिलेगी।
भारत के औषिध महानियंत्रक (डीसीजीआई) 1 जनवरी 2020 से इन उपकरणों के आयात, निर्माण और बिक्री को नियंत्रित करेंगे। इन उपकरणों को मेडिकल उपकरण नियम 2017 के तहत निर्दिष्ट गुणवत्ता मानकों के तहत पंजीकृत किया जाएगा और भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) प्रमाणन द्वारा निर्धारित अन्य मानकों के तहत पंजीकृत किया जाएगा।
देश के सर्वोच्च दवा सलाहकारी संगठन, औषधि तकनीकी सलाहकार निकाय (डीटीएबी) ने उस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी जिससे औषधि कानून के दायरे में नेब्युलाइजर, रक्तचाप मापक उपकरण, डिजिटल थर्मामीटर और ग्लूकोमीटर शामिल करने की बात कही गई थी।
स्वास्थ्य मंत्रालय का प्रस्ताव है कि औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 के दायरे में 'औषधि' की परिभाषा के तहत उपकरणों की सूची का विस्तार करते हुए 8 नई श्रेणियां बनाई जाएं। इन 8 श्रेणियों में प्रतिरोपण योग्य चिकित्सा उपकरण, एमआरआई उपकरण, सीटी स्कैन उपकरण, डिफिब्रिलेटर, डायलिसिस मशीन, पीईटी उपकरण, एक्स-रे मशीन और अस्थिमज्जा कोशिका विभाजक शामिल हैं।
प्रस्ताव में प्रतिरोपण, एक्स-रे मशीन, एमआरआई, डायलिसिस मशीन और सीटी स्कैन उपकरण जैसे उच्च क्षमता वाले चिकित्सा उपकरणों को लाने का बात शामिल है। एक बार प्रस्ताव मंजूर हो जाने के बाद इसका आशय यह होगा कि इन उपकरणों के निर्माण और आयात करने वाली कंपनियों को भारत के औषधि महानियंत्रक से आवश्यक अनुमति या लाइसेंस प्राप्त करने की आवश्यकता होगी। (भाषा)