अब डॉग्स भी कर रहे हैं रक्तदान

सोमवार, 8 जनवरी 2018 (15:42 IST)
बाराबंकी। कभी दुर्घटना तो कभी बीमारी की वजह से जब भी खून की जरूरत होती है तो इंसान को खून देने के लिए डोनर्स मिल जाते हैं लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जानवरों को खून की जरूरत पड़ती है तो उन्हें कैसे बचाया जाता है? 
 
जानवरों में खून की जरूरत को ब्लड ट्रांसफ्यूजन के जरिए पूरा किया जाता है। इसके लिए इंसानों की तरह अब डॉगीज भी ब्लड डोनेट कर दूसरे डॉगीज की जान बचा रहे हैं। अलग-अलग बीमारियों की वजह से अक्सर डॉगीज में ब्लड ट्रांसफ्यूजन की जरूरत होती है।
 
कब होता है ब्लड ट्रांसफ्यूजन? 
 
ब्लड ट्रांसफ्यूजन वह प्रकिया है, जिसमें डॉगीज को किसी बीमारी की वजह से हुए एनीमिया, सर्जरी, ट्रॉमा और ब्लड लॉस की कमी को पूरा किया जाता है। खून को साइट्रेट फॉस्फेट डेक्ट्रोज (सीपीडी) बैग में रखा जाता है। उसी से यह चढ़ाया जाता है। 
 
हालांकि डॉगीज अपना रक्तदान जीवन में महज एक बार ही कर सकता है। यह ब्लड किसी भी डॉगी से लिया जा सकता है और यह लगभग 90 से 95 प्रतिशत मैच हो जाता है। इसके बावजूद क्रॉस मैचिंग करना जरूरी होता है। डॉगीज में दूसरी बार ब्लड ट्रांसफ्यूजन की गुंजाइश नहीं होती है। 
 
ब्लड ट्रांसफ्यूजन के फायदे 
 
इससे पशुओं में खून की कमी को पूरा किया जा सकता है, जिससे आगे के इलाज के लिए वक्त मिल जाता है। खून की कमी से होने वाले वाइट और रेड ब्लड सेल्स को भी पूरा किया जाता है। यह प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ ही एनीमिया की कमी को भी पूरा करता है। 
 
खून से निकाला गया प्लाजमा सीरम बनाने के काम आता है, जिसे पार्वो वायरस और कैनाइन डिस्टेंपर जैसी बीमारियों में इस्तेमाल किया जाता है। स्किन के खुले हुए घाव को ठीक करने के लिए ऐंटीबायॉटिक पाउडर के साथ उसी जानवर के खून से बने सीरम का इस्तेमाल किया जाता है। इससे घाव तेजी से भरता है और स्किन आ जाती है। 
 
इसके जरिए ऑटो ह्यूमो थेरपी भी की जाती है। इसे स्किन से जुड़ी बीमारियों में इस्तेमाल किया जाता है। इस थेरपी में डॉगी की नसों से खून निकालकर दोबारा उसके मसल्स में डाला जाता है। विदित हो कि ब्लड ट्रांसफ्यूजन का सक्सेस रेट 100% है। 
 
डिपार्टमेंट ऑफ ऐनिमल हज्बंड्री हॉस्पिटल, बाराबंकी के वेटनरी ऑफिसर डॉ. रजनीश चंद्रा कहते हैं, 'अक्सर पार्वो और एनीमिया जैसे मामलों में ब्लड ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता होती है। इसके लिए किसी भी ब्रीड के डॉगी का खून लिया जा सकता है।' 
 
हमने ब्लड ट्रांसफ्यूजन के जरिए ऐसे कई डॉगीज की जान बचाई है, जिनकी हालत बेहद नाजुक थी। हर साल 30 से 35 ब्लड ट्रांसफ्यूजन के केस आते हैं। हीमॉग्लोबिन 5 से कम होने पर डॉगी को खून चढ़ाया जाता है और इसे 12 हीमॉग्लोबिन वाले डॉगी से लिया जाता है। 

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