चुनावों परिणामों के बाद दुष्यंत ने स्पष्ट कहा था कि सत्ता की चाबी उनके पास है। हालांकि शुरू में उन्होंने कांग्रेस के साथ जाने के संकेत दिए थे। तब उन्हें लगा था कि कांग्रेस की मदद से राज्य के मुख्यमंत्री बन सकते हैं, लेकिन सीटों का गणित कुछ ऐसा हुआ कि उन्होंने भाजपा के पाले में जाना ही उचित समझा।