वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी के अनुसार, तिमाही के दौरान कमजोर निवेश तथा निर्यात वृद्धि से उच्च निजी निवेश तथा सरकारी व्यय का प्रभाव फीका रह सकता है। बजट जल्दी पेश करने और हाल ही में लागू माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों, उससे होने वाली प्राप्तियों तथा छूट आदि के प्रभाव के कारण सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आने वाले आंकड़े गड़बड़ा सकते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, नोटबंदी (आठ नवंबर, 2016) तथा उसके बाद जीएसटी क्रियान्वयन जैसी नीतियों में बदलाव के बीच अगली कुछ तिमाहियों में सकल मूल्यवर्द्धन (जीवीए) आर्थिक गतिविधियों के मापने का भरोसेमंद उपाय हो सकता है।