तृणमूल कांग्रेस को 1,609 करोड़ रुपए का चंदा मिला है। कांग्रेस को 1,421 करोड़ रुपए का चंदा मिला है। बीआरएस को भी 1214 करोड़ रुपए चंदे के रूप में मिले। इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए बीजद ने 775 करोड़, डीएमके ने 639 करोड़, वायआरएस कांग्रेस ने 337 करोड़ और तेलगुदेशम पार्टी ने 218 करोड़ रुपए जुटाए।
चुनाव आयोग द्वारा दी गई जानकारी में इस बात का जिक्र नहीं है कि किस कंपनी ने किस पार्टी को कितना चंदा दिया है। राजनीतिक पार्टियों को सबसे ज्यादा चंदा देने वाली कंपनी फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज पीआर है। इसने 1,368 करोड़ के बॉन्ड खरीदे। कंपनी के खिलाफ लॉटरी रेगुलेशन एक्ट 1998 के तहत और आईपीसी के तहत कई मामले दर्ज हैं।
स्टील कारोबारी लक्ष्मी मित्तल से लेकर अरबपति सुनील भारती मित्तल की एयरटेल, अनिल अग्रवाल की वेदांता, आईटीसी, महिंद्रा एंड महिंद्रा से लेकर कम प्रसिद्ध फ्यूचर गेमिंग और होटल सर्विसेज अब रद्द किए जा चुके चुनावी बॉण्ड के प्रमुख खरीदारों में शामिल थे।
कांग्रेस के संचार विभाग में अनुसंधान और निगरानी के प्रभारी अमिताभ दुबे ने कहा कि चुनावी बॉण्ड योजना 2017 में शुरू की गई, लेकिन प्रस्तुत आंकड़े अप्रैल 2019 से हैं। उन्होंने कहा कि दाताओं की फाइल में 18,871 प्रविष्टियां हैं, प्राप्तकर्ताओं की फाइल में 20,421 प्रविष्टियां हैं। यह विसंगति क्यों है?