खुफिया अधिकारी कहते थे कि हिलकाका में भट्टीधार मुठभेड़ के बाद पहली बार पुंछ के जंगलों में चलने वाली इतनी लंबी मुठभेड़ में सेना ने पहली बार अपने 9 अधिकारियों व जवानों को खोया है। खुफिया अधिकारियों के दावे उन लोगों से पूछताछ पर आधारित बताए जाते हैं जिन्हें इस मुठभेड़ के दौरान आतंकियों को कथित तौर पर शरण देने के आरोपों में पकड़ा गया है।
यह सच है कि एक लंबे अरसे के बाद जम्मू कश्मीर में आतंकियों के साथ होने वाली जंग इतनी लंबी चली है। इस जंग की खास बात यह है कि पहली बार आतंकवाद के इतिहास में मुठभेड़ के दौरान सेना के दो जवान लापता हो गए और बाद में उनके मिले शवों को देखते हुए यह कहा जा रहा था कि आतंकियों में स्नाइपर तथा कमांडों भी शामिल हैं।