श्रममंत्री संतोष गंगवार ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के ट्रस्टियों की आज हुई बैठक के बाद यहां कहा, ‘मौजूदा आर्थिक परिदृश्य को देखते हुए भविष्य के बारे में मूल्यांकन करना मुश्किल है। हमने पिछले साल 8.65 प्रतिशत की दर से ब्याज दिया जिसके बाद 695 करोड़ रुपए का अधिशेष बचा है।
गंगवार ने कहा, इस साल हमने 2017-18 के लिए 8.55 प्रतिशत की दर से ब्याज देने की सिफारिश की है इससे 586 करोड़ रुपए का अधिशेष बचेगा।’ देशभर में छह करोड़ से भी अधिक कर्मचारी ईपीएफओ से जुड़े हैं। ईपीएफओ की शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था केन्द्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) है जिसके प्रमुख श्रम मंत्री होते हैं।
कर्मचारी भविष्य निधि पर ब्याज दर के बारे में सीबीटी के फैसले के बाद वित्त मंत्रालय इसकी पुष्टि करता है। वित्त मंत्रालय की मंजूरी मिलते ही भविष्य निधि अंशधारकों के खाते में ब्याज की राशि डाल दी जाती है। गंगवार ने उम्मीद जताई कि श्रमिक संगठन 8.55 प्रतिशत की दर से ब्याज भुगतान के फैसले को लेकर सहमत होंगी।
श्रम मंत्री ने कहा कि ईपीएफओ को चालू वित्त वर्ष के दौरान 8.55 प्रतिशत की दर से ब्याज देने के लिए राशि की भरपाई के वास्ते एक्सचेंज ट्रेडेड फेड (ईटीएफ) में किए गए अपने निवेश के एक हिस्से को बेचना पड़ा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह दर साधारण भविष्य निधि (जीपीएफ) और लोक भविष्य निधि अंशधारकों को दी जाने वाली 7.6 प्रतिशत की दर से अधिक है।