नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसान लगातार 9वें दिन भी दिल्ली बॉर्डर पर डटे हुए हैं। किसान आंदोलन से जुड़ी हर जानकारी...
12:18 PM, 4th Dec
-उत्तर प्रदेश के प्रदर्शनकारी किसानों ने यूपी गेट के पास राष्ट्रीय राजमार्ग-9 को जाम कर दिया है।
-वहीं पंजाब और हरियाणा के किसान दिल्ली आने वाले दूसरे प्रवेश मार्गों पर डटे हैं।
-प्रदर्शन के मद्देनजर सिंघु, टिकरी, चिल्ला और गाजीपुर बॉर्डर पर अब भी सुरक्षा कर्मी तैनात हैं।
-इस बीच, दिल्ली पुलिस ने शहर में आवाजाही के लिए लोगों को अन्य वैकल्पिक मार्गों का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया है।
-उन्होंने एक ट्वीट में कहा, 'गौतमबुद्ध नगर के पास किसानों के प्रदर्शन के कारण नोएडा लिंक रोड पर चिल्ला बॉर्डर बंद है। लोगों को दिल्ली जाने के लिए नोएडा लिंक रोड से बचने और डीएनडी का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया जाता है।'
-प्रदर्शन के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग-24 पर गाजीपुर बॉर्डर बंद होने के कारण पुलिस ने गाजियाबाद से दिल्ली आ रहे लोगों से अप्सरा या भोपुरा बॉर्डर या दिल्ली-नोएडा डायरेक्ट (डीएनडी) एक्सप्रेसवे का इस्तेमाल करने को कहा है।
10:41 AM, 4th Dec
-सिंघु बॉर्डर पर कुछ ही देर में किसानों की बैठक, तय होगी आगे की रणनीति
08:26 AM, 4th Dec
-सुबह 11 बजे सिंघु बॉर्डर पर किसानों की बैठक, तय होगी आगे की रणनीति।
-कल बैठक में हुई बातों पर विस्तार से होगी चर्चा।
07:47 AM, 4th Dec
-NH 24 पर स्थित गाजियाबाद बॉर्डर आज भी यातायात के लिए बंद।
-टिकरी बॉर्डर, झड़ोदा बॉर्डर पर भी वाहनों की आवाजाही नहीं, बदुसराय बॉर्डर से केवल कारों और 2 पहिया वाहनों के आवागमन की अनुमति।
-सिंघु, लंपुर, सफियाबाद, सबोली बॉर्डर भी बंद। NH-44 भी दोनों ओर से बंद।
-किसान आंदोलन की वजह से 9 दिन से दिल्ली से लगी सीमाओं पर यातायात प्रभावित। लोग परेशान।
07:47 AM, 4th Dec
-दिल्ली SGPC ने कंगना रनौत को नोटिस दिया। किसान आंदोलन में शामिल महिला पर कंगना ने की थी आपत्तिजनक टिप्पणी।
-आंदोलन में शामिल बुजुर्ग महिला को बताया था दिहाड़ी मजदूर।
07:47 AM, 4th Dec
-कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर की अगुवाई में तीन केंद्रीय मंत्रियों के साथ आंदोलनकारी किसानों के प्रतिनिधिमंडल की बैठक गुरुवार को भी बेनतीजा रही। एक सप्ताह के भीतर सरकार और किसान नेताओं के बीच यह दूसरी बैठक थी। लगभग 8 घंटे चली इस बैठक में किसान नेता नए कृषि कानूनों को रद्द करने पर जोर देते रहे।
-विभिन्न किसान संगठनों के लगभग 40 नेताओं के साथ बैठक के दौरान सरकार ने अपनी ओर से उनकी सभी वैध चिंताओं पर ध्यान दिए जाने का आश्वासन दिया और कहा कि उनपर खुले दिमाग से विचार किया जायेगा।
-किसान नेताओं ने कृषि कानूनों में कई खामियों और विसंगतियों को उजागर किया। किसान नेताओं का कहना था कि इन कानूनों को जल्दबाजी में पारित किया गया।