श्रीनगर। जैश ए मोहम्मद के आतंकियों ने श्रीनगर हवाई अड्डे के बाहर फिदायीन हमला कर सभी को चौंका दिया। हालांकि हमलावर तीन फिदायीनों को ढेर कर दिया गया पर इस हमले ने सभी को हिला दिया। हमले में बीएसएफ का एक अधिकारी शहीद हो गया। इतना जरूर था कि आतंकी गुट ने फिर से वही तड़के हमला करने की रणनीति को अपनाया था जैसे कि वे अतीत में करते आए हैं। कड़ी सुरक्षा वाले श्रीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास स्थित बीएसएफ के एक शिविर पर आतंकियों ने मंगलवार तड़के आत्मघाती हमला किया।
हमले में सुरक्षा बल के एक एएसआई शहीद हो गए और चार अन्य जवान घायल हो गए। सुरक्षा बलों की गोलीबारी में तीनों हमलावर मारे गए। गोलीबारी के कारण थोड़ी देर के लिए हवाई अड्डे पर विमानों की आवाजाही रोकनी पड़ी और आस-पास स्थित स्कूलों को भी बंद कर दिया गया।
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि आतंकियों के एक समूह ने कड़ी सुरक्षा वाले श्रीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के द्वार के बाहर स्थित बीएसएफ के शिविर पर मंगलवार सुबह चार बजे हमला किया था। अधिकारियों ने बताया कि हमले में अभी तक तीन आतंकवादियों को मार गिराया जा चुका है, वहीं बीएसएफ के एएसआई बीके यादव की गोली लगने से जान चली गई। अधिकारी ने बताया कि गोलीबारी में बीएसएफ के तीन कर्मी घायल हो गए। सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी के आवास की रखवाली कर रहा एक पुलिसकर्मी भी गोली लगने से घायल हो गया।
बीएसएफ अधिकारियों ने बताया कि आतंकवादी 182वीं बटालियन के शिविर के परिसर की एक इमारत में छिपे हुए थे। गोलीबारी के चलते सुबह हवाई अड्डे पर विमानों की आवाजाही रोक दी गई थी, लेकिन बाद में सुरक्षा बलों द्वारा इमारत (जहां आतंकवादी छुपे हैं) के आसपास की स्थिति नियंत्रण में लेने के बाद विमानों का संचालन बहाल कर दिया गया। भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण (श्रीनगर) के निदेशक शरद कुमार ने कहा कि विमानों का संचालन बहाल कर दिया गया और यात्री विमानों में सवार हो गए।
बीएसएफ की 182वीं बटालियन पर श्रीनगर हवाई अड्डे के रनवे की सुरक्षा का जिम्मा है। शिविर के निकट पुराना श्रीनगर वायुक्षेत्र है जिसका परिचालन भारतीय वायुसेना करती है। इलाके में बीएसएफ और सीआरपीएफ के प्रशिक्षण केंद्र भी हैं। हवाई अड्डे के आस-पास स्थित स्कूलों को बंद कर दिया गया। आतंकी गुट जैश ए मुहम्मद ने हमले की जिम्मेदारी ली है। खुद को संगठन का प्रवक्ता बताने वाले एक शख्स ने स्थानीय समाचार एजेंसियों को फोन कर कहा कि हमला जैश के आतंकियों ने किया है।
इतना जरूर था कि इस हमले में भी वही चौंकानी वाली बात देखने को मिली जो घाटी में हाल ही के दिनों में हुए अन्य हमलों में दिखी थी और वो है आतंकियों का हमला करने का समय।
आतंकियों को इस बात की पुख्ता जानकारी होती है कि सुबह के वक्त ज्यादातर सुरक्षाबल सो रहे होते हैं या इसी समय उनके ड्यूटी के बदलने का समय होता है। जिसके कारण अगर उन पर सुबह के वक्त हमला होता है तो उन्हें हरकत में आने में थोड़ा समय लगेगा और जिसका फायदा आतंकी उठा सकते हैं।
गौरतलब है कि उड़ी सेक्टर में हथियारों से लैस 4 आतंकवादियों ने सेना के कैंप पर 18 सितंबर को सुबह के 5 बजे हमला किया था जिसमें 19 जवान शहीद हो गए थे। आतंकियों ने बांदीपोरा के सीआरपीएफ कैंप पर हमले के लिए सुबह 3 से 5 बजे के बीच के समय को चुना था। लेकिन इस हमले में आतंकियों को मार गिराया गया था जिससे यह हमला नाकाम हो गया था। ताजा हमले के बाद सारे राज्य में आतंकी हमलो को लेकर हाई अलर्ट जारी करने की बात जरूर की जाने लगी थी।