अस्पताल के इस एनएसयूआई में 55 नवजात बच्चे भर्ती थे।
कई बच्चे बुरी तरह घायल और झुलस गए हैं।
वार्ड में 45 बच्चों को सुरक्षित निकाला गया।
बचाव के लिए सेना बुलाई गई, दमकल की गाडियों ने बुझाई आग।
जिस अस्पताल में हत्या में मारे गए पति के खून के धब्बे उसकी बेवा पत्नी को साफ करने के लिए मजबूर किया जाए। जहां गर्भवती को अस्पताल ले जा रही एंबुलेंस में ही ब्लास्ट हो जाए। जहां नौ महीनों तक अपनी कोख में फूल की तरह पालने के बाद इस उम्मीद में मां- बाप अपने बच्चों को आईसीयू में भर्ती करवाए और वहां उनके फूल से नाजुक बच्चे जलकर खाक हो जाए। ऐसी स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में क्या कहा और सोचा जाए जहां आम आदमी जिंदगी की उम्मीद में जाता है और बदले में उसे मिलती है मौत।
छोटे-छोटे बच्चे आग में जल गए. ये वीडियो देखकर मुझे रोना सा हो गया.
कभी अस्पताल में बच्चे जलकर खाक हो जाते हैं तो कभी कोचिंग क्लास में आइएएस की तैयारी करने वाले युवा बारिश के पानी में डूबकर मर जाते हैं। तो कभी स्कूल की दीवार ढहने से बच्चे मलबे में दबकर दम तोड़ देते हैं। आखिर ये कैसी व्यवस्थाएं हैं। ये कैसी स्वास्थ्य सेवाएं और कैसी शिक्षा सेवाएं हैं कि जहां लोग जिंदगी की उम्मीद में जाते हैं और उन्हें मौत मिलती हैं।
राख में तब्दील हो गए बच्चे और मशीनें : यूपी के जिस मेडिकल कॉलेज के बच्चा वॉर्ड में आग लगी थी उसमें कई बच्चों को इलाज चल रहा था। आग इतनी भयानक थी कि कोई भी सामने के दरवाजे से अंदर नहीं घुस पा रहा था। बच्चों बचाने के लिए बाद में खिड़की के रास्ते से अंदर जाया गया था। आग इतनी भयावह थी कि 10 नवजात बच्चे जलकर खाक हो गए। इतना ही नहीं, यहां रखी मेडिकल मशीनें राख में तब्दील हो गई। कई बच्चों के तो निशान भी नहीं मिले।
ये हैं कुलदीप। झांसी मेडिकल कॉलेज अग्निकांड में इनका नवजात बच्चा भी था। आग लगती देख ये अंदर घुस गए। कई बच्चों को बाहर निकालकर लाए। लेकिन अपने बच्चे के बारे में कोई खबर नहीं है।
जाने और आने का सही नहीं था रास्ता : वार्ड में प्रवेश और निकास के दो अलग रास्ते भी नहीं थे। स्थिति इतनी भयावह हो गई कि मौके पर मौजूद लोगों को खिड़की तोड़ कर बच्चों को बाहर निकालना पड़ा। अग्नि सुरक्षा विभाग जब भी किसी संस्था को फायर एनओसी देती है, तो यह सुनिश्चित करवाती है कि प्रवेश और निकास के दो दरवाजे होने ही चाहिए, लेकिन इस वार्ड में ऐसा कोई इंतजाम भी नहीं दिखाई दिया। इस स्थिति को देखते हुए यह सवाल उठता है कि वार्ड की फायर ऑडिट कैसे हुई थी।
क्या ऑक्सीजन कॉन्संट्रेटर है हादसे की वजह : झांसी के मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में हुए इस वीभत्स हादसे पर सवाल उठ रहे हैं। यूपी के पूर्व सीएम और सपा नेता अखिलेश यादव ने एक्स पर कहा है कि आग का कारण ऑक्सीजन कॉन्संट्रेटर बताया जा रहा है। ये सीधे-सीधे चिकत्सीय प्रबंधन व प्रशासन की लापरवाही का मामला है या फिर ख़राब क्वॉलिटी के आक्सीजन कॉन्संट्रेटर का। इस मामले में सभी ज़िम्मेदार लोगों पर दंडात्मक कार्रवाई हो। मुख्यमंत्री जी चुनावी प्रचार छोड़कर, सब ठीक होने के झूठे दावे छोड़कर स्वास्थ्य और चिकित्सा की बदहाली पर ध्यान देना चाहिए।
यह संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है : सरकार की संवदेनहीनता की पराकाष्ठा यह है कि बच्चों की दर्दनाक मौत को भूलकर इस पर लीपापोती शुरू हो चुकी है। एक तरफ लोग अपने खोए हुए बच्चों के लिए चीख चीखकर रो रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मेगा शो में व्यस्त हैं। सवाल यह है कि आखिर कब तक ऐसे हादसे होते रहेंगे और बच्चों से लेकर आम लोग अपनी जान गंवाते रहेंगे।
Edited By: Navin Rangiyal