Same Gender Marriage : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा- कैसे मिलेगा सामाजिक लाभ, पूर्व नौकरशाहों और जजों ने राष्ट्रपति को लिखी चिट्ठी- देश को चुकानी होगी कीमत
नई दिल्ली। Same-Sex Marriage Hearing Updates : समलैंगिक शादी को मान्यता देने की याचिकाओं पर छठे दिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। अदालत ने केंद्र सरकार से सवाल पूछा कि समलैंगिक जोड़ों की बैंकिंग, बीमा, दाखिले आदि जैसी सामाजिक आवश्यकताओं पर केंद्र का क्या रुख है? खबरों के मुताबिक समलैंगिक विवाह के मुद्दे को लेकर 121 पूर्व जजों और 101 पूर्व नौकरशाहों ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा है।
कोर्ट ने कहा कि समलैंगिक जोडों के लिए केंद्र को कुछ करना होगा। केंद्र बताए कि समलैंगिक जोड़ों की शादी को कानूनी मान्यता के बिना सामाजिक मुद्दों की अनुमति दी जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने 3 मई तक इस मामले में सरकार से जवाब मांगा है। सेम सेक्स मैरिज मामले में केंद्र सरकार ने अलग- अलग कानूनों पर प्रभाव का हवाला दिया है। इनमें घरेलू हिंसा, दहेज प्रताड़ना, रेप, शादी, कस्टडी, भरण पोषण और उत्तराधिकार के कानूनों पर सवाल उठाए।
देश को चुकानी होगी कीमत : 121 पूर्व जजों, 6 पूर्व राजदूतों समेत 101 पूर्व नौकरशाहों ने समलैंगिक विवाह के मुद्दे पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि सेम सेक्स के लोगों की शादी को कानूनी वैधता प्रदान करने की कोशिशों से उन्हें धक्का पहुंचा है। अगर इसकी अनुमति दी गई तो पूरे देश को इसकी कीमत चुकानी होगी। हमें लोगों के भले की चिंता है। Edited By : Sudhir Sharma