चंडीगढ़। पूर्व सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे (Manoj Pandey) ने युद्ध के मैदान में चुनौतियों को समझने और उनका कुशलतापूर्वक सामना करने हेतु प्रौद्योगिकी और प्रशिक्षण का उपयोग करने के लिए सामूहिक दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया है। जनरल मनोज पांडे ने मंगलवार को यहां चंडीमंदिर सैन्य स्टेशन पर 'युद्धक्षेत्र में सफलताएं : विजय के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग' विषय पर आयोजित एक संगोष्ठी में उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए यह बात कही।
एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार सेना की पश्चिमी कमान ने जमीनी युद्ध अध्ययन केंद्र (सीएलएडब्ल्यूएस), नई दिल्ली के सहयोग से इस संगोष्ठी का आयोजन किया। विज्ञप्ति के मुताबिक भारतीय सेना में युद्ध-लड़ाई में प्रौद्योगिकी के साथ तालमेल बनाए रखने को दिया जा रहा प्रोत्साहन विषय विशेषज्ञों द्वारा दिन भर विभिन्न मुद्दों पर दिए गए भाषणों से स्पष्ट हुआ।
जनरल पांडे ने युद्धक्षेत्र में चुनौतियों को समझने तथा कुशलतापूर्वक उनका सामना करने हेतु प्रौद्योगिकी और प्रशिक्षण का उपयोग करने के लिए सामूहिक दृष्टिकोण पर बल दिया। पश्चिमी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (जीओसी-इन-सी) लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि सेना को अधिक अनुकूलनीय बनने का प्रयास करना चाहिए और अधिकारियों से आग्रह किया कि वे प्रौद्योगिकी क्षेत्र में गहन अध्ययन करें तथा नई पीढ़ी की युद्ध संबंधी चुनौतियों के अनुकूल होने के लिए नवाचार करें।
ये सत्र इस बात की समझ विकसित करने के लिए आयोजित किए गए थे कि किस प्रकार उभरती प्रौद्योगिकियों को आत्मसात और एकीकृत किया जा सकता है जिससे सैनिकों को सशक्त बनाया जा सके, उनके प्रदर्शन को बेहतर बनाया जा सके और सेना की समग्र परिचालन क्षमता को बढ़ाया जा सके। पहले 2 सत्रों में मौजूदा समय में चल रहे वैश्विक संघर्षों को आकार देने वाले प्रौद्योगिकी कारकों पर ध्यान केंद्रित किया गया।(भाषा)