जीएसआई ने कहा कि भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण द्वारा राजस्थान के नागौर जिले के डेगाना क्षेत्र में लिथियम के बड़े भंडार की खोज के संबंध में विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित खबर पूरी तरह निराधार और भ्रामक हैं। उसने कहा कि ऐसी कोई सूचना न तो क्षेत्रीय मुख्यालय द्वारा और न ही जीएसआई के केंद्रीय मुख्यालय द्वारा प्रदान की गई थी।
मीडिया खबरों में कहा गया कि जम्मू कश्मीर के बाद राजस्थान में लिथियम के भंडार मिले है। फरवरी 2023 में जम्मू और कश्मीर के रियासी में 59 लाख टन लिथियम के भंडार की खोज की गई थी। इसकी कीमत 3400 अरब रुपए है। बताया जा रहा है कि भारत के पास अब इतना लिथियम हो गया है कि मांग की 80 प्रतिशत आपूर्ति इससे हो जाएगी। लिथियम भंडारण के मामले में बोलिविया, अर्जेंटीना, अमेरिका, चिली, ऑस्ट्रेलिया और चीन भारत से आगे हैं।
आखिर क्या बनता है लिथियम से : लिथियम एक अलौह धातु है, जिसका इस्तेमाल मोबाइल फोन, लैपटॉप, डिजिटल कैमरा और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए रिचार्बेल बैट्री बनाने के लिए होता है। इसके साथ ही इसका इस्तेमाल खिलौनों और घड़ियों को बनाने में भी किया जाता है। इस वक़्त भारत लिथियम के लिए पूरी तरह अन्य देशों पर निर्भर है।
अभी तक भारत लिथियम, निकल और कोबाल्ट जैसे कई महत्वपूर्ण मेटल का आयात करता है। जम्मू और कश्मीर में लिथियम भंडार की नई खोज के साथ, बैटरी और ईवी निर्माताओं को आयात पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। स्थानीय लिथियम का भंडार देश में बैटरी की कीमत कम करने में मदद करेगा, जिससे आगे चलकर ईवी की कीमत में कमी देखने को मिलेगी।
सबसे ज्यादा लिथियम ऑस्ट्रेलिया में : लिथियम प्रोडक्शन के मामले में ऑस्ट्रेलिया सबसे ऊपर है। साल 2021 के आंकड़ों के मुताबिक, दुनियाभर का 52 परसेंट लिथियम ऑस्ट्रेलिया पैदा करता है। दूसरे नंबर पर चिली है, जिसकी हिस्सेदारी 24.5 परसेंट है। तीसरे नंबर पर चीन है, जो 13.2 परसेंट लिथियम पैदा करता है। ये तीन देश ही दुनियाभर का 90 परसेंट लिथियम पैदा करते हैं।