अंतरिक्ष तकनीक में बड़ा बदलाव लाने वाले मिशन के तौर पर देखे जा रहे जीएसएलवी मार्क-3 के साथ अब भारत दूसरे देशों पर निर्भर हुए बिना बड़े उपग्रहों का देश में ही प्रक्षेपण कर सकता है। यह चार टन तक के वजन वाले उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेज सकता है जो मौजूदा जीएसएलवी मार्क-2 की दो टन की क्षमता से दोगुना है।
जीएसएलवी मार्क-3 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को भारत से 36,000 किलोमीटर की भूस्थिर कक्षा में ज्यादा भारी संचार अंतरिक्षयान भेजने में भी सक्षम करेगा। शक्तिशाली प्रक्षेपण यान ना होने के कारण इसरो इस समय दो टन से अधिक वजन के उपग्रह ऊंची कीमत पर यूरोपीय रॉकेट से प्रक्षेपित करता है।
उन्होंने कहा, हो सकता है कि एक हफ्ते में हम उपग्रह को यान से जोड़ने में सक्षम हों। हम जून के पहले हफ्ते में प्रक्षेपण का लक्ष्य बना रहे हैं। हालांकि शिवन ने कहा कि जीएसएलवी मार्क 3 के प्रक्षेपण की तारीख अब तक तय नहीं हुई है। जीएसएलवी मार्क 3 संचार उपग्रह जीसैट-19 को लेकर उड़ान भरेगा, जिसका वजन 3.2 टन से ज्यादा है।
उन्होंने कहा, यह एक बेहद उन्नत यान है। उपग्रह भी बेहद उन्नत है। शिवन ने कहा, दो टन से ज्यादा वजन के किसी भी उपग्रह के प्रक्षेपण के लिए हमें उसे दूसरे देशों में ले जाना पड़ता है। अब सब कुछ हमारे भारतीय यान से प्रक्षेपित किया जा सकता है। उन्होंने चंद्रयान-2 मिशन को लेकर कहा कि दिसंबर तक इसे पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है। (भाषा)